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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.२० सू०६ देवेभ्यः पतिर्यग्योनिकेषूत्पातः ३५५ भवति नान्येति भावः । 'सेसाणं एमा मुक्कालेस्सा' शेषाणां सनत्कुमारमाहेन्द्रमालोकानिरिक्तानामुपर्युपरितनानां लान्तकादीनां देवानामेका शुक्ललेश्येव भवतीति। 'ए नो इस्थि वेयगा' वेदे नो स्त्रीवेदकाः सनत्कुमारादयो देवाः खोये का न भवन्ति तत्र देवीनाममावाद स्त्रीवेदो न भवीत्यर्थः किन्तु-'पुरिसवेया' पुरुषवेदका भवन्ति नत्रैकः पुरुषवेद एष भवतीत्यर्थः । तथा-'नो नपुंसकवेयगा' तथा नपुंसकवेदका अपि न भवन्ति । नपुंसकवेदोऽपि तत्र न भवतीत्यर्थः । 'आउ अणुबंधा जहा ठिइपए' अयुरनुबन्धौ यथा स्थितिपदे-प्रज्ञापनायाश्चतुर्थपदे, यथा स्थित्यनुबन्धौ कथितौ तथैव इहापि तौ-स्थित्यनुबन्धौ ज्ञातव्याविति । 'सेसं जहेब ईसाणगाणं' शेषं यथैव ईशानक वानाम् ईशानकदेवानां यथा यथा पम्हलेस्सा' सनकुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक इनमें एक पद्मलेश्या ही होती है। अन्य लेश्याएँ नहीं होती हैं। 'सेसाणं एगा सुका लेस्मा' सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, इनसे अतिरिक्ति ऊार आर के लान्तक आदि देवों के एक शुक्ललेश्या ही होती है। 'वेए नो इस्थिवेयगा' वेद द्वार में इनदेवलोकों में स्त्रीवेद नहीं होता है । अर्थात् सनत्कुमार आदि देवलोक में देवियां नहीं होती हैं। किन्तु 'पुरिसवेयगा' पुरुषवेद ही होता है तथा इसी प्रकार से वे 'नो नपुंमगवेयगा' नपुंसक वेदवाले भी नहीं होते हैं क्यों कि देवों में नपुंसक वेद नहीं होना है। 'आउअणु बंधा जहा ठिइपए' प्रज्ञापना के चतुर्थ स्थितिपद में जैसे स्थिति और अनुबंध ये दो द्वार कहे गए हैं। वैसे ही वे यहां पर भी कहना चाहिये 'सेसं जहेव ईसाणगाणं' ईशानक देवों के जैसे जैसे परिमाण आदिबार
” સનકુમાર મહેન્દ્ર, બ્રહ્મલોક તેમાં એક પત્રલેશ્યા જ હોય છે. બીજી श्या। डाती नथी. 'सेसाण एगा सुक्कलेस्सा' सनमार, भाडेन्द्र, प्रसा, શિવાયના ઉપરના લાતક આદિ દેવોને એક શુકલ લેશ્યા જ orय छ 'वेए नो इत्थिवेयगा' के दाम तेमाने सी३६ साता नथी. ५२ 'पुरिसवेयगा' पु३५ वेहवाणा काय छे. अने से शत तसा 'नो नपुं सगवेयगा' नस:३४॥ ५y डात नथी. उभ-हेवामा नपुंसवे हात नयी. 'आउ अणुबंधा जहा ठिइपए' प्रायना सूत्रना यथा स्थितिपमा रे પ્રમાણે સ્થિતિ અને અનુબંધ એ દ્વારા કહ્યા છે, એ જ પ્રમાણે તે અહિયાં ५५ ।। नये. 'सेस जहेव ईसाणगाणं' शान वाना परिभार विरे દ્વારા જે જે પ્રમાણે કહ્યા છે. એ જ પ્રમાણે તે સઘળા અહિયાં પણ કહેવા
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૫