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शतक पचीस का पहला उद्देशा
उदेशे के अर्थ संग्रहण
लेsया के स्वरूप का निरूपण
संसार समापचक जीव के स्वरूप का निरूपण चौदह प्रकार के संसार समापत्रक जीवों के
योग और उनके अल्पवदुख का निरूपण नैरों के सम और विषम योगपने का निरूपण प्रकारान्तर से योग के स्वरूप का निरूपण
दूसरा उद्देशा
द्रव्य प्रकारों के परिमाण आदि का निरूपण जीवाजीव ब्रव्यों के परिभोग का निरूपण
असंख्य लोक में अनन्त द्रव्य का समावेश
आदि का निरूपण
स्थितास्थित द्रव्य ग्रहण का निरूपण
तीसरा उद्देशा
संस्थानों का निरूपण
रत्नममा आदि पृथिवी की अपेक्षा से
संस्थानों का निरूपण
प्रदेश और अवगाहना की अपेक्षा से
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫
संस्थानों का निरूपण
पार्था से संस्थानों का निरूपण
द्रव्यादिक की अपेक्षा से लोकके परिमाण
आदि का निरूपण
श्रेणियों के सादिव आदि का निरूपण
मकारान्तर से श्रेणियों का निरूपण
नैरयिक आदि के अल्पबहुत्व का निरूपण
५२०-५२३
५२४-५२७
५२८-५२९
५३० ५४१
५४२-५४७
५४८-५५६
५६७-५६४
५६५-५७१
५७२-५७५
५७६-५९२
५९३ - ६०४
६०५-६२१
६४५-६७९
६४५-६७६
६७७-६८०
६८०-७०७
७०८-७२०
७२१-७३२