SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 618
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६०४ भगवतीसूत्रे वरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तरसहस्सा छच्च एगुणपन्नगंगासया भवंतीति मक्खया, तासिं दुविहे उद्घारे पण्णत्ते, तं जहा-सुहुमबोदिकलेवरे चेव बायर बोदिकलेवरे चेव, तत्थ णं जे से सुहुमबोदिकलेवरे से ठप्पे, तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे, तओणं वाससए वाससए, गएगए एगमेगं गंगावालुयं अवहाय जाव इएणं कालेणं से कोटे खीणे णीरए निल्लेवे निट्टिए भवइ, से तं सरे सरप्पमाणे। एएणं सरप्पमाणेणं तिन्नि सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे, चउरासीइ महाकप्पसयसहस्साइं से एगे महामाणसे, अगंताओ संजूहाओ जीव चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, विहरिता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता पढमे सन्निगब्भेजीवे पच्चायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता मज्झिल्ले माणसे संजूहे देवे उववज्जइ, से णं तस्थ दिव्वाइं भोगभोगाई आव विहरित्ता ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं, टिइक्खएणं जाव चइत्ता दोच्चे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाइ,से णं तओहिंतो अणंतरं उज्वट्टित्ता हेटिल्ले माणसे संजूहे देवे उवबजइ, से गं तत्थ दिवाइं जाव चइत्ता तच्चे सन्निगब्भे जीवे पच्चायाइ, से गं तओहिंतो जाव उवद्वित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जइ, से गं तत्थ दिव्वाई जाव चइत्ता चउत्थे संनिगन्भे जाव पच्चायाइ, से गं શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧
SR No.006325
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages906
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size53 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy