________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० १०सू० ३ रत्नप्रभादिविशेषनिरूपणम् ३९५ वपज्जवे देसा आइटा असब्भावपज्जवा देसे आइटे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो आयाओय अवत्तवं आयाइय नो आयाइय१८, देसा आइट्टा सब्भावपजवा, देसे आइट्टे असब्भावपज्जवे, देसे आइटे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आयाओ य नो आया य अवत्तवं आयाइय नो आयाइय१९। से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय आया, सिय नो आया, सिय अवत्तवं निक्खेव ते चेव भंगा उच्चारेयहा जाव नो आयाइय।
आया भंते! पंच पएसिए खंधे अन्ने पंच पएसिए खंधे? गोयमा! पंचपएसिए खंधे सिय आया१, सिय नो आया २, सिय अवत्तवं आयाइय नो आयाइय३, लिय आया य नो आया य४, सिय आया य अवत्तव्येण य४, नो आया य अवत्तवेण य(४४१२+३=१५) तियगसंजोगे एकोण पडइ७४(२२) से केणट्रेणं भंते! तं चेव पडिउच्चारेयवं? गोयमा! अप्पणो आइटे आया१, परस्स आइटेनो आयार, तदुभयस्स आइडे अवत्तवं३, देसे आइट्टे सम्भावपजवे देसे आइटे असभावपज्जवे, एवं दुयगसंजोगे सवे पडंति, तियगसंजोगे एक्को ण पडइ। छप्पएसिए सवे पडंति, जहा छप्पएसिए, एवं जाव अणंतपएसिए, सेवं भंते! सेवं भंते! ति जाव विहरइ ॥सू०३॥
दसमो उद्देसो समत्तो-बारसमं सयं समत्तं ॥
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦