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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ११ उ० ११ सू०२ प्रमाणकालनिरूपणम् ४६९ दिवसे भवइ, तयाणं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवई' यदा खलु उत्कृष्टिका-उत्कर्षेण अष्टादशमुहूर्तिका रात्रि भवति, अथ च जघन्यक:-जघन्येन द्वादशमुहत्तों दिवसो भवति, तदा खलु उत्कृष्टिका अर्द्धपश्चममुहूर्ता रात्रेः पौरुषी भवति, अथ च जघन्यिका त्रिमुहूर्ता दिवसस्य पौरुषी भवति । सुदर्शनः पृच्छति-'कयाणं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालमुहुत्ता राई भवइ ?' हे भदन्त ! कदा खलु उत्कृष्टकः अष्टादशमुहूतों दिवसो भवति, अथ च जन्यिका द्वादशमुहूर्ता रात्रि भवति ? 'कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहूत्ता राई भवइ, जहन्निए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवह ?' कदा वा उत्कृष्टिका अष्टादशमुहूर्ता रात्रि भवति, भवह ' जब उत्कृष्ट रूप से १८ मुहूर्त की रात्रि होती है और जघन्य से १२ मुहूर्त का जब दिन होता है, 'तया उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स पौरिसी भवइ 'तष उत्कृष्ट से ४॥ मुहूर्त की रात्रि की पोरुषी होती है और जघन्य से तीन मुहूर्त की दिन की पौरुषी होती है.। ____ अय सुदर्शन सेठ प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'कया णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ' हे भदन्त ! उत्कृष्ट-बड़ा दिन जो कि १८ मुहूर्त का होता है-वह कब होता है और छोटी रात्रि जो कि १२ मुहूर्त की होती है-वह कब होती है ? 'कया वा उक्कोसिया अट्ठासमुहुत्ता राई भवई, जहन्निए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ' तथा कब बड़ी रात्रि जो कि अठारह मुहूर्त की मुहुत्ते दिवसे भवइ, तयाण उनकोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहन्निया तिमुहत्ता दिवसस्त पोरिसी भवइ" न्यारे लाभां मी १८ મુહર્તની રાત્રિ અને ટૂંકમાં ટુકે ૧૨ મુહૂર્તને દિવસ થાય છે, ત્યારે રાત્રિને પહેર અધિકમાં અધિક કલા મુહુર્ત થાય છે અને દિવસનો પહોર ઓછામાં ઓછા ત્રણ મુહૂર્તને થાય છે. सुशन शहने। प्रश्न-" कयाण भंते ! उक्कोसए अद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ?" सपन! inwi ail२ १८ મુહૂર્તનો દિવસ છે તે ક્યારે (કઈ તિથિએ) થાય છે? ટુંકામાં ટુકી ૧૨ भुइतनी रात्रि यारे थाय छे ? "कया वा उक्कोसिया अटारसमुहुत्ता राई भवइ, जहन्निए दुबाल समुहुत्ते दिवसे भवइ ?" तथा inwi einी १८ सदार भुडत ना રાત્રિ અને ટુંકામાં ટુંકે ૧૨ બાર મુહૂર્તને દિવસ કયારે થાય છે? શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯
SR No.006323
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages760
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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