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भगवतीने तत्-अथ हे भदन्त ! केनार्थेन कथं तावत् एवमुच्यते-सनत्कुमारस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य त्रायस्त्रिंशका देवाः इति ? भगवानाह-यथा धरणस्य नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य त्रायस्त्रिंशकाः देवाः त्रयस्त्रिंशत् सहायाः प्रतिपादिता स्तयेव सनत्कुमारस्यापि देवेन्द्रस्य त्रायस्त्रिंशकाः देवाः त्रयस्त्रिंशत् सहायाः प्रतिपत्तव्याः, एवं-पूक्तिरीत्यैव यावत्-माहेन्द्रस्य, ब्रह्मलोकेन्द्रस्य लान्तकेन्द्रस्य महाशुक्रेन्द्रस्य सहस्रारेन्द्रस्य, माणतेन्द्रस्य एवम् अच्युतेन्द्रस्य-देवेन्द्रस्य देवराजस्य त्रायस्विंशका देवाः त्रयस्त्रिंशत् सहायाः बोध्याः किन्तु माहेन्द्रादेरच्युतान्तस्य देवराजस्य कारण से कहते हैं कि देवेन्द्र देवराज सनत्कुमार के गुरुस्थानीय ३३ त्रायस्त्रिंशक देव हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! जिस प्रकार से नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण के गुरुस्थानीय ३३ प्रायस्त्रिंशक देव कहे गये हैं, उसी प्रकार से देवेन्द्र देवराज सनत्कुमार के भी गुरुस्थानीय ३३ त्रायस्त्रिंशक देव जानना चाहिये। इसी पूर्वोक्त रीति के अनुसार यावत्-इन देवेन्द्र देवराज माहेन्द्र, ब्रह्मलोकेन्द्र, लान्तकेन्द्र, महाशुक्रेन्द्र, सहस्रारेन्द्र, प्राणतेन्द्र और अच्युतेन्द्र के भी गुरुस्थानीय ३३-३३ ते तीस ते तीस त्रायस्त्रिंशक देव हैं ऐसा जानना चाहिये. तथा-इस बातको लेकर गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है कि हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज माहेन्द्र आदिकोंके गुरुस्थानीय ३३-३३ प्रायस्त्रिंशक देव हैं क्या ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हाँ, गौतम ! इन सब देवेन्द्र देवराज माहेन्द्र आदिकों के गुरुस्थानीय ३३-३३ त्रायस्त्रिंशक देव होते हैं माहेन्द्रादि अच्युतान्त देवराज के प्रायस्त्रिं.
मडावीर प्रभुन। उत्तर---" जहा धरणास तहेव एव जाव पाणयस्स एवं अच्चुयस्स जाव अन्ने उववज्जति" गौतम ! नागभारेन्द्र, नागभा२२१, ધરણના ત્રાયસ્વિંશક દેવોના જેવું જ કથન સનકુમારના ત્રાયસ્ત્રિશિક દેવે વિષે પણ સમજવું. એ જ પ્રમાણે દેવેન્દ્ર, દેવરાજ મહેન્દ્ર, બ્રહ્મલેક, લાતકા, મહાશુક, સહસ્ત્રાર, પ્રાણુત, અયુત આ ઈન્દ્રોના સહાયભૂત પણું ૩૩-૩૩ ત્રાયઅિંશકે હોય છે એમ સસજવું. એજ વાતને સૂત્રકારે નીચેની પ્રશ્નોત્તર દ્વારા વ્યક્ત કરી છે.
ગૌતમ સ્વામીને પ્રશ્ન-હે ભગવન ! દેવેન્દ્ર, દેવરાજ મહેન્દ્ર આદિ ઈન્દ્રોના સહાયભૂત ૩૩-૩૩ ત્રાયઅિંશક દે હેય છે ખરાં?
મહાવીર પ્રભુનો ઉત્તર-હા, ગૌતમ! દેવેન્દ્ર, દેવરાજ મહેન્દ્રથી લઈને દેવેન્દ્ર દેવરાજ અયુત પર્યરતના દેવેન્દ્રોના સહાયભૂત ૩૩-૩૩ ત્રાયઅિંશક
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯