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भगवतीमत्रे तस्य अलब्धिकाः न सन्ति, सम्यग्दर्शनलब्धिकानां पञ्च ज्ञानानि भजनया, तस्य अलब्धिकानां त्रीणि अज्ञानानि भजनया। मिथ्यादर्शनलब्धिकाः खलु भदन्त ! पृच्छा, त्रीणि अज्ञानानि भजनया, तस्य अलब्धिकानां पञ्च ज्ञानानि, त्रीणि च अज्ञानानि भजनया, सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धिकाश्च अलब्धिकाश्च यथा मिथ्यादर्शन लब्धिका अलब्धिकास्तथैव भणितव्या, ॥ सू० ८ ॥ जीवा किंनाणी अन्नाणी) हे भदन्त ! जो दर्शनलब्धिसे रहित जीव होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (तस्स अलद्धिया नत्थि) हे गौतम ! दर्शनकी अलद्धिवाले कोई जीव नहीं होते हैं। 'सम्मसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए' जो जीव सम्यग्दर्शनलब्धिवाले होते हैं उनको पांच झान भजनासे होते हैं । (तस्स अलद्धियाणं तिनि अण्णाणाइं भयणाए) जो जीव सम्यग्दर्शनलब्धिसे रहित होते हैं उनमें तीन अज्ञान भजनासे होते (मिच्छादसणलद्धियाणं भंते ! पुच्छा) हे भदन्त ! जो जीव मिथ्यादर्शनलब्धिवाले होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (तिनि अनाणाई भयणाए)हे गौतम ! जो जीव मिथ्यादर्शनलब्धिवाले होते हैं उनमें तीन अज्ञान भजनासे होते हैं । (तस्स अलद्धियाणं पंचनाणाइं तिनि य अनाणाई भयणाए) जो जीव मिथ्यादर्शनलब्धिसे रहित होते हैं उनमें पांच ज्ञान तथा तीन अज्ञान भजनासे होते हैं (सम्मामिच्छादसणलद्धिया य, अलद्धिया य, जहा मिच्छादसणलद्धी, निधि २जित खाय छे ते जानी डाय छे मानी ? ' गोयमा' हे गौतम! 'तस्स अलद्धिया नत्थि' न विनाना होता नथी. 'सम्मइंसण लद्धियाणं पंचनाणाई भयणाए'२७ सय ४श नवाजा होय छे. तेमाने पाय जान नरनाथ डाय छे. 'तस्स अलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए' र ७ सभ्यपूशन रहित होय छे तमामात्र सज्ञान मनाया डाय छे. 'मिच्छइंसण लद्धियाणं भंते पुच्छा' महन्त ! 4 मिथ्या नसाय छे ते ज्ञानी हाय मशानी ? 'तिन्नि अन्नाणाइ भयणाए' गौतम ! रे ७५ मिथ्याशनલબ્ધિવાળા હોય છે. તેમાં ત્રણ અજ્ઞાન ભજનાથી હોય છે
'तस्स अलद्वियाणं पंचनाणाइं तिनि अन्नाणाइं भयणाए' रे 4 મિથાદર્શનથી રહિત હોય છે. તેમાં પાંચ જ્ઞાન તથા ત્રણ અજ્ઞાન ભજનાથી હેય છે. 'सम्मामिच्छादसणलद्धिया य, अद्धिया य जहा मिच्छादसणलद्धि अलद्धि तहेव
श्री. भगवती सूत्र :