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________________ ५४८ भगवतीसत्रे आकारभावप्रत्यवतारो भविष्यति ? गौतम ! भूमिः भविष्यति अङ्गारभूता, मुर्मुर भूता, क्षारिकभूता, तप्तकटाहभूता, तप्तसमज्योतिर्भूता, धूलिबहुला, रेणुबहुला, पङ्कबहुला, पनकबहुला, चलनीबहुला, बहूनां धरणिगोचराणाम् सवानां दुनिष्क्रमा चापि भविष्यति ॥सू० ३॥ ___टीका-'जंबुद्दी वे णं भंते ! दीवे मारहेवासे इमीसे ओप्पिणीए, दुसम दुसमाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे पानी के समस्त निर्झर खड्ढे, दुर्गम तथा विषम भूमि में रहे हुए ऊँचे नीचे स्थान सब एक से हो जावेंगे। (तीसे णं समाए भारह वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ) हे भदन्त ! उस छठे कालमें भारतवर्ष की भूमिका आकार भाव प्रत्यवतार कैसा होगा ? (गोयमा) हे गौतम ! (भूमि भविस्सइ, इंगालभूया, मुम्मरभूया, छारियभूया, तत्तकवेल्लुयभूया, तत्तसमजोइभूया, धूलिबहुला, रेणुबहुला, पंकबहुला, पणगबहुला, चलणिबहुला, बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुनिकम्मा यावि भविस्सइ) उस समय अंगार जैसी, मुर्मुर-कंडेकी अग्नि जैसी, क्षारिकभूत, अत्यन्त तपे हुए लोहेके तवा जैसी, ताप द्वारा अग्नि जैसी, बहुत धूलिवाली, बहुत रजवाली, बहुत कीचडवाली, बहुत शैवाल-काईवालो और जिस पर भूमिगोचर माणियोंका चलना बहुत कठिन हो जाय ऐसी दुर्गम भूमि भारतवर्ष की हो जावेगी। સિવાયની નદીઓ, સમસ્ત ઝરણુઓ, ખાડા અને દુર્ગમ તથા વિષમ ભૂમિમાં આવેલાં अया नयां स्थान। २४ स२मा नये. (तीसे गं समाए भारहवासस्स भूमिए केरिसए आगारभावपडोयारे भविम्सइ ?) (3 HE-! ते छ। माराम भारतपनी भूभिने। Alt२ मा प्रत्यवता (222 भूमिर्नु २१३५) ॥ ४N (गोयमा!) हे गौतम ! (भूमि विस्सइ इंगालभूया, मुम्मुरभूया, छारियभूया, तत्तकवेल्लुयभूया, तत्तसमजोइभूया, धूलिबहुला, रेणुबहुला, पंकबहुला, पणगबहुला, चलणिबहुला, बहणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निकम्मा यावि भविस्सइ) તે સમયે ભૂમિ અંબારા જેવી, છાણાની અગ્નિ જેવી, ક્ષારિભૂત (ભસ્મત) અને તપા વેલા લેઢાના તવા જેવી હશે તાપને લીધે ભૂમિ અગ્નિ જેવી લાગશે, બહુજ રજવાળી, બહુજ ધૂળવાળી. બહુજ કીચડવાળા બહુજ શેવાળવાળી, અને જેના પર સ્થળચર પ્રાણીઓને ચાલવું ઘણું મુશ્કેલ થઈ પડે, એવી દુર્ગમ ભૂમિ તે વખતે બની જશે. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫
SR No.006319
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages866
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size47 MB
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