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________________ भगवतीसूत्रे भगवन् ! इति तृतीयो गौतमो वायुभूतिः अनगारः श्रमणं भगवन्तम् महावीरं वन्दते, नमस्यति, वन्दित्वा नमस्यित्वा येनैव द्वितीयो गौतमोऽग्निभूतिः अनगारस्तेनैव उपागच्छति, उपागत्य द्वितीयं गौतमम्-अग्निभूतिम् अनगारम् वन्दते, नमस्यति, एतदर्थं सम्यग् विनयेन भूयोभूयः क्षमापयति ।।मू० ६॥ इत्यादि वही द्वितीय गम यहां जानना चाहिये (जाव अग्गमहिसीओ) और वह अग्रमहिषियोंके प्रकरणकी समाप्ति तक यहां ग्रहण करना चाहिये (सच्चेणं एसमटे) हे गौतम ! यह अर्थ बिलकुल सत्य है। (सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति तच्चे गायमे वाउभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ) हे भदन्त ! आप देवानुप्रियने जो कहा है वह ऐसा ही है-वह हे भदन्त ! ऐसा ही है इस प्रकार कह कर तृतीय गौतम वायुभूति अनगारने श्रमण भगवान् महावीर को वंदन नमस्कार किया बाद में वे (जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे तेणेव उवागच्छइ) जहां द्वितीय गौतम अग्निभूति अनगार थे वहां आये ( उवागच्छित्ता) वहां आकर उन्होंने (दोचं गौयमं अग्गिभूई अणगारं वंदइ नमसइ एयमत्थं सम्मं विणएणं भुजो भुज्जो खामेइ) द्वितीय गौतम अग्निभूति अनगारको वंदना की उन्हें नमस्कार किया और उनकी बात पर विश्वास आदि न करने जन्य दोष की विनयपूर्वक बार२ उनसे क्षमा मागी ॥ सू० ६ । धot २४ सपा छे. मी lion सूत्रनु समस्त वर्ष न २ न. (जाव अग्गमहिसीओ) यी माना ४२९१ सुधाम मातु सभृति विव'। ति माहिन १ न ही अ६ ४२j (सच्चेणं एसमढे) गौतम २मा पात तहन साथी छे. सेव भंते ति तच्चे गोयमे वाउभूई अणगारे समणे भगव महावीर वंदइ नमसइ) આપનું કથન સત્ય છે, તેમાં કઈ સંદેહને સ્થાન નથી“ એમ કહીને ત્રીજા ગૌતમ વાયુભૂતિ અણગારે શ્રમણ ભગવાન મહાવીરને વંદણ નમસ્કાર કર્યા ત્યાર બાદ તેને देच्चे गोयमे अग्गिभूइ अणगारे तेणेव उवागच्छइ तमो न्यi wlon ५२ मनिभूति ॥२ ता त्यां गया. (उवागच्छित्ता) त्यi ने तेभरां दोच्चे गोयमे अग्गिभुइं अणगारं दइ नमसइ एयमé सम्मं विणएणं भुज्जो भुज्जो खामेइ) मी गौतम मानिनभूति मारने वा नभा र्यासने तमनी पातमा श्रीन ४२वाने माटासाटोपन भाटे विनय पूर्व वा २ क्षमा मागी. ॥ सू-६॥ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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