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________________ ६१८ भगवतीसूत्रे गच्छति, पतदुदयमपि गच्छति, स भदन्त ! किम् एकतः पताकं गच्छति ! द्विधापताकं गच्छति ! गौतम ! एकतः पता गच्छति ! नो द्विधा पताक गच्छति, स भदन्त ! किं वायुकायः पताका ? गौतम ! वायुकायः सः, नो खलु सा पताका ॥ सू० २ ॥ ___टीका-वैक्रियशरीराधिकारादाह-पभूणं भंते !' इत्यादि । गौतमःपृच्छति हे भदन्त ! प्रभुः खलु समर्थः किम 'वाउकाए, वायुकायः' 'एगं महं' एक तरह रूप करके गति करता है क्या ? (गोयमा ! ऊसिओदयं वि गच्छइ, पयओदयंवि गच्छइ) हे गौतम ! वह वायुकाय ऊँची हुई पताकाकी तरह भी रूप बनाकर गमन करता है और गिरि हुई पताकाकी तरहभी रूप बनाकर गमन करता है। (से भंते! किं एगओ पडागं गच्छइ ?) हे भदन्त ! वह वायुकाय एक दिशा में जैसी एक पताका होती है ऐसा रूप करके गमन करता है ? या दो दिशा में एक साथ जैसी दो पताकाएँ होती हैं ऐसारूप करके गमन करता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (एगओ पडागं गच्छइ, नो दुहओ पडागं गच्छद) एक दिशामें जैसी एक पताका होती है ऐसा रूप करके वह वायुकाय गमन करता है। दो दिशामें दो पताका की तरह रूप बना कर वह गमन नहीं करता है। (सेणं भंते! किं वाउकाए पडागा!) हे भदन्त ! वह वायुकाय क्या पताका है ? (गोयमा!) हे गौतम! (वा उकाए णं से नो खलु सा पडागा)वह वायुकाय है-पताका नहीं है ॥ सू.२॥ | Gतासी पान २ ३५ मनावाने गमन 3रे छे ? ( गोयमा! ऊसिओदयं वि गच्छइ, पयोदयं वि गच्छइ ) 3 गौतम! ते वायुय ये १२४ती पताકાના જેવું રૂપ બનાવીને પણ ગમન કરે છે, અને નીચે ઉતારેલી પતાકાના જેવું રૂપ मनावीन. ५५ भान ४२ छे ( से भंते ! कि एगओ पडागं गच्छइ ?) महन्त ! તે વાયુકાય એક દિશામાં રહેલી એક પતાકા જેવું રૂપ કરીને ગમન કરે છે? કે બે हिशाम मे साथे २९दी से पताम्मे ३५ अरीने गमन ४२ छ ? (गोयमा!) ड मातम ! (एगी पडागं गच्छइ, नो दुहओ पडागं गच्छड ) ४ (६शामा રહેલી એક પતાકા જેવા રૂપે તે ગમન કરે છે, બે દિશામાં રહેલી બે પતાકા જેવું રૂપ मनावी ते गमन ४२तु नथा. ( से णं भंते ! किं वाउकाए पडागा!) 3 महन्त ! ते वायु।२ शुपता छ ? ( गोयमा) गौतम ! ( वाउक ए णं से नो खलु सा पडागा) वायुआय वायुय छे-पता नथी. स. २ ॥ श्री. मरावती सूत्र : 3
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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