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________________ ३१८ भगवतीसूत्रे सामानिकसाहस्रीभिः यावत् नाटयविधिम् उपदय यामेव (यस्यामेव) दिशि प्रादुर्भूतः, तामेव तस्यामेव दिशि प्रतिगतः ‘भगवन् !' इति भगवान् गौतमः श्रमणं भगवन्तं महावीर चन्दते, नमस्यति, ( वन्दित्वा नमस्यित्वा) एवम् अवादीत्-अस्ति भगवन ! अस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः अधोऽमुरकुमाराः देवाः परिवसन्ति? गौतम ! नायमर्थः समर्थः,संभवति एवम् यावत्-अधः सप्तम्याः पृधिसिंहासणंसि ) चमर नाम के सिंहासन पर बैठा हुआ (चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता) तथा चौंसठ हजार सामानिक देवताओं से युक्त हुआ यावत् नाटयविधि को दिखाकर (जामेव दिसिं) जिस दिशा से (पाउन्भूए) प्रकट हुआ था ( तामेव दिसिं पडिगए) उसी दिशा में पीछे वापिस चला गया। (भंते ! त्ति भगवं गोयमे समर्णभगवं महावीरं वंदइ नमसइ) हे भदंत ! इस प्रकार से संबोधित करके भगवान गौतम ने श्रमण भगवान महावीर प्रभु को वंदना की और नमस्कार किया। ( एवं वयासी) फिर उन्होंने उनसे इस प्रकार पूछा (अस्थिणं भते । इमीसे रयणप्पभाए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ) हे भदन्त । इस रत्नप्रभा प्रथिवी के नीचे असुरकुमार देव रहते हैं क्या ? (गोयमा।) हे गौतम । (णो इणढे समढे) यह अर्थ समर्थ नहीं है। (एवं जाव (चमरचंचाए रायहाणीए) यमस्य या धानीमा (सभाए मुहम्माए) सुधा समामा (चमरंसि सिंहासणंसि) यभ२ नामना सिंहासन ५२ मेठ तो ( चउसट्ठीए सामाणिय साहस्सीहिं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता) यास४ ५ सामान ॥ तेना समामा मे उता. त्याथी श३ ४ीने “नाटयविधि मतावान (जामेवदिसिं पाउन्भूए तामेवदिसिं पडिगए) 2 हिशामाथी प्रगट च्या उत! ते हिशमां પાછાં ફરી ગયાં. ” સુધીનું વક્તવ્ય ગ્રહણ કરવું (અહીં મહાવીર પ્રભુના સમવસરણમાં ચમરેન્દ્ર આદિના આગમનનું વર્ણન આગળ મુજબ સમજવું.) त्या२मा (भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ) “હે ભદન્ત !” એવું સંબોધન કરીને, ભગવાન ગૌતમે શ્રમણ ભગવાન મહાવીરને या ७२, नभ२४१२ ४ा. ( एवं बयासी ) भने मा प्रमाणे प्रश्न पूछया(अत्थिणं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति) डे लन्त ! शुमसुमार व २नमा पृथ्वीनी नीय २७ छ ? (गोयमा ! णो इण सम) 3 गीतम! मे पात साथी नयी (पवं जाव अहे सत्तमाए पुढवीए, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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