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___भगवतीसूत्रे गृहेभ्यः प्रतिनिष्कामन्ति प्रतिनिष्क्रम्यैकतोमिलन्ति. मिलित्वा पादविहारचारेण तुङ्गिकायाः नगर्यां मध्यमध्येन निर्गच्छन्ति. निर्गत्य यत्रैव पुष्पवतीकं चैत्य तत्रैवोपागच्छन्ति उपागत्य स्थविरान् भगवतः पञ्चविधेनाभिगमेनाभि गच्छन्ति. तद्यथा सचित्तानां द्रव्याणां व्युत्सर्जनतया ? अचित्तानां द्रव्याणामत्यु सजनतया २, एकशा टिकेनोत्तरासंगकरणेन ३, चक्षुः स्पर्श अञ्जलिप्रग्रहेण ४, वाले और अधिकमूल्य वाले आमरणों से अलंकृत शरीर वाले होकर फिर वे (सएहिंतो सएहिंतो गेहे हितो पडिनिक्खमन्ति ) अपने अपने घरों में से बाहर निकले (पडिनिक्खमित्ता) बाहर निकल कर (एग यो मिलंति ) वे फिर एक जगह इकट्ठे हुए (मिलित्ता ) एकटे होकर (पायविहारचारेणं ) पैदल ही (तुंगीयाए नयरीए मज्झम् मज्झेणम् ) तुंगीका नगरी के ठीक बीचो बीच से होकर (निग्गच्छंति ) निकले (निग्गच्छित्ता ) निकलकर (जेणेवपुप्फवहए चेहए तेणेव उवागच्छंति) जहां पर पुष्पवतिक उद्यान था वहां पर आये । (उवागच्छित्ता ) वहां आकर (थेरे भगवंते) वे उन स्थविर भगवंतों के पास (पंचविहेणं अभिगमेणं ) पांच प्रकार के अभिगम से ( अभिगच्छंति ) गये (तं जहा ) वे पांच प्रकार के अभिगम इस प्रकार से हैं ( सच्चित्ताणं दव्वाणं विसरणयाए ) पास में रहे हुए सचित्त द्रव्यों को दूर रख देना १,(अचित्ताणं व्वाणं अविउसरणयाए) अचित्त द्रव्यों को पास में रखना २, ( एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेगं) विना सिये हुए वस्त्र से ननi Y मथि भूल्यवाणा माभूषणोथी शरीरने शारीने त “सएहितो सएहितो गेहेहितो पडिनिक्खमंति" पात पाताना घरमाथी पडा२ निन्यां. "पडिनिक्खमित्ता" ५.२ निजीने “एगयओ मिलायति " ते मे ये ४-यासे सत्र थया. “मिलायित्ता" सत्र ने “पायविहारचारेण " यासीन “ तुगियाए नयरोए मज्झ मज्झेण" तु नारीनी 422 धन " निग्गच्छत्ति " नीच्या. " निग्गच्छित्ता" त्यांथी नीजीन 'जेणेव पुप्फवइए चेइए तेणेव उवागच्छति " या पु०५३ति ौत्य उतुं त्या माव्या. “ उवागचित्ता" त्यां मावान “थेरे भगवते पंचविहेण अभिगमेण अभिगच्छति " પાંચે અભિગમથી યુક્ત થઈને તેઓ બધા તે સ્થવિર ભગવતે પાસે ગયા. "तंजहा" ते पांय ४२न। निगम नीचे प्रमाणे छ-" सञ्चित्ताण दव्वाण विसरणयाए" (१) पातानी पासेना सचित्त द्रव्यने २ ४२j " अचित्ता ण दत्राण अविसरणयाए " (२) मयित्त द्रव्याने पासे २१. “ एगसाडि एण उत्तरासंगकरणेण" (3) सिव्या विनाना ४५थी उत्तरास ४२३॥-
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨