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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२ उ०५ सू०८ तुङ्गिकानगरिस्थ श्रावकवर्णनम् ८३५ संप्रयुक्ताः विच्छदितविपुलभक्तपानाः बहुदासीदासगोमहिसगवेलकमभूता बहुजनस्यापरिभूता अभिगतजीवाजीवाः उपलब्धपुण्यपापाः आस्रवसंवरनिर्जराः क्रियाधिकरणबन्धमोक्षकुशलाः असाहाय्या देवासुरनागयक्षराक्षसकिन्नरकिवाहणाइण्णा ) इनके रहने के मकान विस्तृत और बहुत थे। पलंग आदिरूप शयनों से, पीठक आदिरूप आसनों से रथादिरूप यानों से, गज अश्व आदिरूप बाहनो से, ये सब के सब श्रमणोपासक भरपूर थे (बहुधणबहुजायरूवरयया) धन की इनके पास कमी नहीं थी अर्थात् ये सब बहुत धन से परिपूर्ण थे, सोने और चांदी से इनके भंडार भरे हुए थे ( आओगपओगसंपउत्ता ) आयोग प्रयोग से ये युक्त थे । (विच्छड्डिय विउलभत्तपाणा ) इनके भोजनालयमें परिजनों के भोजन करलेने के बाद भी भक्त और पान बहुत अधिक मात्रा में बाकी बचा रहता था ( बहु दासीदास गो महिसगवेलयप्पभूया) इनके यहां अनेक दासी दास थे, गायें, भैस थीं पाडे और मेढे थे । ( बहुजणस्स अपरिभूया अनेक मनुष्यों के द्वारा भी ये अपरिभूत थे । (अभिगयजीवाजीवा) जीव और अजीव के ये अच्छी तरह से ज्ञाता थे । (उबलद्धपुण्णपावा) पुण्य और पाप का इन्हें बहुत ही अधिक ध्यान रहता था ( आसव संवरनिज्जरकिरिया अहिगरगबंधमोक्खकुसला ) आस्रव, संवर, निर्जरा, क्रिया अधिकरण बंध तथा मोक्ष इनका स्वरूप जानने में ये सब कुशल थे ( असहेजे ) किसी भी कार्य में ये देवादिकों की सहाવિસ્તૃત મકાને હતાં, પલંગ આદિરૂપ શયનની સામગ્રીઓથી, પઠક આદિ રૂપ આસનથી, રથાદિ રૂપ યાનેથી અને ગજ, અશ્વ આદિરૂપ વાહનથી તે श्रावो युद्धत ता. (बहुधणबहुजायरूबरयया ) तेमनी पासे धननी न्यूनता नती, सोना यहीथी तमना । मरेसा ता. (आओगपओगसंपउत्ता) ते। आयोग प्रयोगथी युद्धत al. (विच्चड़ियविउलभत्तपाणा) तेमना કુંટુંબના માણસોએ જમી લીધા પછી પણ તેમના ભેજનાલયમાં ખાદ્ય અને पेय पदार्थो । मोटा प्रमाणुमा ५७॥ २उतां तi. (बहु दासीदासगोमहिसगवेलयप्पभूया) तेभने त्यो भने हास, हासी, आय, मेस, पा भने धेटा तi. (बहुजणस्स अपरिभूया ) भने मनुष्या ५ तेभनी पराय ४२ शतनडी. (अभिगय जीवो जीवा) ०१ अने २५० २१३५ना तेम। घl onY२ ता. ( उवलद्धपुण्णपावा" युथ्य मने पार्नु तेसो मतिशय ध्यान शमता ता. ( आसव, संवर, निज्जर, किरिया, अहिगरण, बंध मोक्ख कुसला) मानव, मध, स१२, निस, या, मधि४२५, तथा मोक्ष
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨