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भगवतीसरे
८३४ तस्मिन् समये तुङ्गिकानाम नगरी आसीत् वर्णकः तस्याः खलु तुङ्गिकायाः नगाः बहिरुत्तरपौरस्त्ये दिग्भागे पुष्पवतीनाम चैत्यमभवत् वर्णकः तत्र खलु तुनिकायां नग- बहवः श्रमणोपासकाः परिवसन्ति आढ्या दीप्ताः विस्तीर्ण विपुलभवनशयनासनयानवाहनाकीर्णा बहुधनबहुजातरूपरजताः आयोगप्रयोग
सूत्रार्थ- (तएणं) इसके बाद (समणे भगवं महावीरे ) श्रमण भगवान महावीर (रायगिहाओ नयराओ) राजगृह नगर से (गुणसिलाओ चेझ्याओ) गुणशिल चैत्य से (पडिनिक्खमइ) निकले (पडिनिक्खमित्ता) निकल कर (बहिया जणवयविहारं विहरइ) वे फिर यहां से जनपदों में विहार करने लगे। (तेणं कालेणं तेणं समएणं) उस काल और उस समयमें (तुंगियानामं नयरी होत्था) तुंगिका नाम की नगरी थी (वण्णओ) वर्णक (तीसेणं तुंगियाए नयरी बहिया) उस तुंगिका नगरी के बाहर (उत्तरपुरथिमे दिसीभाए) ईशान कोण में ( पुप्फवइए नामं चेइए होत्था ) पुष्पवतीक नामक चैत्य था (वण्णओ) वर्णक ( तत्थणं तुंगियाए नयरीए) उस तुंगिका नगरी में ( बहवे समणोवासया परिवसंति ) अनेक श्रमणोपासक रहते थे ( अट्टा दित्सा) ये सब श्रमणोपासक बहुत अधिक आढय-ऋद्धि आदि से परिपूर्ण थे, औदार्य आदि गुणों से दीप्त थे, (वित्थिन्न विउलभवणसयणासणजाण
सूत्राथ-( तएणं' त्या२ माह (समणे भगव' महावीरे ) श्रम मापान मडावीरे ( रायगिहाओ नयराओ ) 28 नगीना (गुणसिलाओ चेइयाओ) शुशुशी नाभना चैत्यमाथी (पडिनिक्खमइ) विहा२ ४ो. (पडिनिक्खमित्ता) त्यांथी नीजान. ( बहिया जणवयविहार विहरइ) ते नोभा विकार ४२१॥ साया. (तेण कालेण तेण समएण) ते ४ाणे मने ते सभये (तुगिया नाम नयरी होत्था ) तुम नामे से नारी ती. (वण्णओ) तेनु वएन या नगरी प्रमाणे समा. (तीसेणं तुगियाए नयरीए बहिया) ते तुम नारीनी महा२ ( उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए ) ४ान मi ( पुष्फवइए नाम चेइए होत्था ) भुपति नामर्नु चैत्य हेतु. (वण्णओ) तेनु qणुन भूभद्र शैत्य प्रमाणे सभा. (तत्थ ण तुगियाए नयरीए) ते तुम नारीमा ( बहवे समणोवासया परिवसति ) मने श्रमपास श्राप? ' २उता उता. ( अट्टा,दित्ता ) ते। सद्धिथी परिपूर्ण भने मोहाय ALE Yथी ही उता. ( वित्थिन्नविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णा ) भने २२वानां अने
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨