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भगतीसत्रे बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता से णं भंते खंदए देवताओ देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं च णं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ गोयमा महा विदेहे वासे सिज्झिहिइ वुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिणिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणं अंतं करोहिइ ॥ सू०१७ ॥
॥ वितियसयस्स पढमो उद्देसो समत्तो ॥२॥ छाया-ततः खलु ते स्थविरा भगवन्तः स्कन्दमनगारं कालगतं ज्ञात्वा परिनिर्वाणवृत्तिकं कायोत्संग कुर्वन्ति कृत्वा पात्रचीवरागि गृह्णन्ति गृहीत्वा विपु. लात् पर्वतात् शनैः शनैः प्रत्यवरोहन्ति प्रत्यवरुह्य यौव श्रमणो भगवान् महावीरस्तत्रैवोपागच्छन्ति उपागत्य श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दन्ते नमस्यन्ति वन्दित्वा
'तएणसे' इत्यादि।
सूत्रार्थ-(तएणं) इस के बाद (ते थेरा भगवंतो) उन स्थवीर भगवंतों ने (खंदए अणगारं) स्कन्दक अनगार को (कालगयं जाणित्ता) कालगत जान कर ( परिनिवागवत्तियं काउसग्गं करेंति ) उनके परिनिर्वाण निमित्त कायोत्सर्ग किया (करित्ता पत्तचीवराइं गिण्हंति) कायोत्सर्ग करके फिर उन्हों ने पात्र और चीवरों को-वस्त्रों को लिया (गिण्हित्ता) लेकर फिर वे (विउलाओ पन्चयाओ) उस विपुल पर्वत से (सणियं सणियं ) धीरे २-ईपिथशो धन करते हुए मन्दगति से (पचोरहंति ) नीचे उतरे । (पच्चोरुहिता) नीचे उतर कर (जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति)
__“ तएणं से " इत्यादि ।
सूत्रा- (तएणं ) त्या२ मा (ते थेरा भगवंतो) ते स्थविर मसवतामे oney, (खंदय अणगार) २४.६४ अणुमार (कालगयं जाणिता) गर्भ पाभ्या छ. ते तशीने (परिनिव्वाणवत्तिय काउसग्गं करें ति ) तभी तमना परिनिर्वाण निमित्त योत्सग यो. ( करित्ता पत्तचीवराई गिण्हंति ) यो. सगरीने तेमणे तेमना पात्र भने पखो ali. (गिण्हित्ता ) ते ने तेगा (विउलाओ पव्वयाओ )विधुदाय पति ५२ थी (सणियसणिय) भन्ठ अतिथी ( यतना पूर्व ) ( पश्चोरुहंति ) नीय तया पचोरुहित्ता ) नाये उतरीन जेणेव समणे भगवौं महावीरे तेणेव उबागच्छंति) यो श्रम लगवान महावीर
શ્રી ભગવતી સૂત્રઃ ૨