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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० २ ० १ सू० १६ स्कन्धकचरितनिरूपणम् ७२७ उद्वित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिणं करेइ--करित्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महत्वयाई आरोवेइ, आरोवित्ता समणा य समणी ओय खामेइ, खामित्ता तहारूवेहि थेरेहि कडाइहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं सणिय दुरुहेइ दुरुहित्ता मेहघणसंनिगासं देवसंनिवार्य पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहेइ पडिलेहिता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ पडिलहिता, दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकानसन्ने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी, नमोत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं जावसंपत्ताणं नमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्त वंदामिणंभगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगए इह गयं ति कटु वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी पुटिव पि मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए, जाव मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणिं पि य णं समणस्स भग वओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावजीवाए जाव मिच्छादसणसलं पच्चक्खामि जावज्जीवाए एवं सव्वं असणपाणं खाइमं साइमं चउव्विहं पि आहारं पच्चक्खामि, जावजीवाए जं पि य णं इमं सरीरं इदं कंतं पियं जाब मा फुसंतु त्ति कटु एयं पिणं चरमहिं उस्सासनीसासे हिं वोसिरामि त्ति कहु संलेहणा झूसणा झूसिए, भत्तपाणपडियाइक्खिए, पाओवगये कालं अणवकंखमाणे विहरइ, तएणं से खंदए अणगारे समणस्स भगवओ महा
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨