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प्रमेrefront टीका श०२ उ० १ सू० १५ स्कन्दकचरितनिरूपणम्
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कृतादिभिः सार्धं विपुलं पर्वतं शनैः शनैर्दुरुह्य मेघसंनिकाशं देवसन्निपातं पृथिवी - शिलापट्टकं प्रतिलेख्य दर्भसंस्तारकं संस्तीर्य, दर्भसंस्तारकोपगतस्य संलेखनाजोषणाजुषितस्य भक्तपानप्रत्याख्यातस्य पादपोपगतस्य कालमनवकांक्षतः विहर्तु -
महाई आरोवेत्ता) पांच महाव्रती को स्वीकार करके (समणाय समणीओ य खामेत्ता) श्रमण तथा श्रमणीओं से (क्षमापना ) खमतखामणा करूँगा, खमत खामणा करके कराके ( तहाखवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं ) तथारूप स्थविरों के साथ कि जो संथारे में स्थित साधु के संरक्षक होते हैं अर्थात् सहायता करते हैं (बिउलं पव्वयं) विपुल पर्वत पर विपुलाचल पर (सणियं सणियं ) धीरे २ ( दुरुहित्ता ) चढकर ( मेहघणसंनिगासं) मेघ के समूह जैसे वर्ग वाले ( देवसनिवार्य ) देवों के सन्निपात वाले ऐसे ( पुढवीसिलापट्टयं ) पृथ्वी शिलापट्टक की प्रतिलेखना करूँगा ( पडिले हित्ता ) प्रतिलेखना करके उस पर ( दग्भ संथारियं संथरिता) दर्भका संधारा बिछाऊँगा - बिछाकर (दग्भसंधारोव यस्स) उस दर्भ के संधारे पर स्थित हुआ मैं ( संलेहणा झोसणा झूसियस ) संल्लेखना को बडे ही आदर भाव से धारण करता हुआ (भक्तपाण पडियाइक्वियस्स) चतुर्विध आहार का परित्याग करूँगा और ( पाओवगयस्म ) पादपोपगमन संथारे में रहता हुवा ( कालं अणवखमाणस्स विहरित्तए) इस स्थिति में रहा हुआ
यांग महाव्रते। मगर उरीश (समणा य समणीओ य खामेत्ता ) भने साधु સાધ્વીઓને ખમત-ખમાસણાં કરીશ. ખમત ખમાસણાં કરીને તથા કરાવીને ( तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धि) सारे। नारा साधुभाने व सहायता १रे छे तेवा स्थविरोनी साथै ( विउलं पव्वयं ) वियुस पर्वत पर विसायस
२ (सणियं सनियं) धीरे धीरे ( दुरुदित्ता ) यढीश. त्यां थंडीने ( मेहघण संनिगासं ) भेधना समूह नेवा वागु वाजा, ( देवसभित्रा ) हेवाना निवास स्थान वाजा ( पुढवी सिलापट्ट्यं ) पृथ्वी शिवापट्टनी प्रतिसेना उरीश. ( पडिले हित्ता ) तेनी प्रतिज्ञेणना उरीने तेना ३५२ ( दमसंथारियं संथरित्ता ) हलन। संथारो भिछावीश ( दब्भसंथारोत्रगयस्स ) ते हर्लना संथारा पर उला रडीने (संलेइणा झोसणा झूसियस्स ) हु घणा याहर लाव सहित सहसेना ( संथारो ) भगीअर हरीश (भत्तपाणपडियाइ क्खियरस ) थार प्रारना आडारनो त्याग उरीश ( पाओवयगस्स ) हुपयोगभन सौंधारे। अरीश. ( कालं अणत्रकंख माणस्स विहरित्ताए ) मे स्थितिमा रहेलो हु भाराव
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨