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मेयचिन्द्रका टीका २० २ उ० १ सू १२ स्कन्दकचरितनिरूपणम् ५७१ पंडितमरणम् ? पंडितमरणं द्विविधं प्रज्ञप्तम् तद्यथा-पादपोपगमनं च भक्तप्रत्याख्यानं च । अथ किं तत्पादपोपगमनम् ? पादपोपगमनं द्विविधं प्रज्ञप्तम् , तद्यथानिहारिमं च अनिहारिमं च नियमात् अप्रतिकर्मः तदेतत्पादपोपगमम् । अथ किं तत् भक्तप्रत्याख्यानम् ? भक्तप्रत्याख्यानं द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-निर्दारिमं च अनिहारिमं च नियमात् स प्रतिकर्म, तदेतद् भक्तप्रत्याख्यानम् । इत्येतेन स्कन्दक ! रहता है । ( सेत्तं बालमरणेण मरमाणे जीवे वह ) इस तरह बालमरण से मरा हुआ जीव अपने संसार के बढ जाने के कारण बढता है (से तं बालमरणे) यह बालमरण है-अर्थात-यह बालमरण का स्वरूप है। (से किं तं पंडियमरणे ) वह पण्डित मरण क्या है ? (पंडियमरणे दुवि हे पण्णत्ते ) पण्डित मरण दो प्रकार का कहा है (तंजहा-पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य) वह इस तरह से पादपोपगमन और भक्त प्रत्याख्यान (से किं तं पाओवगमणे) पादपोपगमन किसे कहते हैं ? (पाओव. गमणे दुविहे पण्णत्ते) पादपोपगमन दो प्रकारका होता है-(तंजहा) जैसे (नीहारिमे य अनिहारिमे य) निर्हारिम और अनिर्झरिम ) नियमा अप्पडिकम्मे ) नियम से ये दानों पादपोपगमन के प्रकार प्रतिकर्म (सेवाश्रूषा ) से रहित होते हैं । (से किं तं भत्तघच्चक्खाणे?) भक्त प्रत्याख्यान का क्या स्वरूप है (भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णते ) भक्त प्रत्याख्यान दो प्रकार का कहा गया है (तंजहा ) जैसे-(नीहारिमे य अनीहारिमे य ) नीर्दारिम और अनिर्हारिम (नियमा सप्पडिक्कमे ) भक्त प्रत्याख्यान के ये दोनों प्रकार प्रतिकर्म सहित होते हैं । ( से तं परिश्रम ४२ छ. ( से तं बालमरणेण मरमाणे जीवे वड्ढइ) मा शत पास મરણથી મરતે જીવ પિતાને સંસાર વધવાથી વધે છે. એટલે કે બાલમરણથી भरता अपने ससा२मा पार पा२ परिश्रम ४२ ५ . (सेत्तं बालमरणे ) બાલમરણનું ઉપર કહ્યા પ્રમાણેનું સ્વરૂપ છે. (से किं तं पंडियमरणे) पति भ२६र्नु बु स्व३५ छ! उत्तर-(पंडियमरणेदुविहे पणत) पति मन मे प्रा२ Hai छ. (त जहा) ते प्रा। या प्रमाणे छ ( पाओवगमणे य भत्तपच्चखाणे य) (1) पापागमन भने (२) मत प्रत्याभयान (से कि त पाओवगमणे) पापागमन मेटले शु ? (पाओवगमणे दुविहे पण्णते) यागमन भर में प्रा२ छे. (त जहा) ते ॥२॥ २॥ प्रमाणे छ (नीहारिमे य अनिहारिमे य ) (१) निरिभ भने (२) मनिहरिभ. (नियमा अपडिकम्मे ) नियमयी ४ ५४॥५॥मानना या
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨