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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० २ उ० १ सू० ८ स्कन्दकवरितनिरूपणम् ५१९ वन्दे नमस्यामि श्रेयः खलु मम श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दित्वा नमस्यित्वा सत्कृत्य संमान्य कल्याणं मंगलं दैवतं चैत्यं पर्युपास्य इमान् च खलु एतद्रूपान् अर्थान् हेतून प्रश्नान करणानि व्याकरणानि प्रष्टुमिति कृत्वा एवं संप्रेक्षते, संप्रेक्ष्य यत्रैव परिव्राजकावसथः तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य त्रिदण्डं च कुण्डिकां च कांचअप्पाणं भावे माणे विहरइ) संयम और तप से अपनी आत्माको भावित करते हुए विराजते हैं (तं गच्छामि णं भगवं महावीरं वदामि नमसामि इसलिये में उनके पास जाऊँ और उन्हें वंदना करूँ और नमस्कार करूँ (सेयं खलु में ) इसी में मेरा कल्याण हैं कि मैं (समणं भगवं महावीर वंदित्ता नमंसित्ता ) श्रमण भगवान महावीर को वंदना नमस्का करके (सकारित्ता) उनका सत्कार करके (सम्माणित्ता) उनका सन्मान करके तथा (कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता) कल्याणस्वरूप मंग लस्वरूप, धर्मदेव स्वरूप चैत्य ज्ञान स्वरूप उनकी पर्युपासना करके (इमाई चणं एयारूवाइं हेऊई पसिणाई अट्ठाई) इन इन रूप अर्थो को हेतुओं को, प्रश्नोंको ( कारणाई वागरणइं ) कारणोंको व्याकरणोंका (पुच्छित्तए) पूर्छ । (त्तिक१) ऐसा मनमें विचार करके ( एवं संपेहेइ ) ऐसा उसने विचार किया (संपेहिता) ऐसा विचार करके फिर वह (जेणेव परिवायगावसहे ) जहाँ परिव्राजकों का मठ था ( तेणेव उवागच्छइ) वहाँ पर गया । (उवागच्छित्ता) वहां जाकर के (तिदंडं च कुंडियं कंचणियं च संजमेण तवसा अप्पाणं भावे माणे विहरइ) श्रम समपान मडावी२, पृतमा નગરીની બહાર છત્રપલાશક નામનું જે ચિત્ય (ઉદ્યાન) છે તેમાં સંયમ અને तपथी पाताना मात्माने सवित ४२ता मिरा छ, ( त गच्छामि ण समणभगवं महावीर वदामि, नमसामि) तमनी पासे 6 मन तेमने बहन नभ२४।२ ४३ (सेय खलु मे ) सेम भार श्रेय छ ( समण भगवमहावीर' वदित्ता नम सित्ता) श्रमण भगवान महावीरने बहन नभ२४।२ ४शन (सकारिता सम्माणित्ता) तमना सत्४२ तथा सन्मान ४२रीन तथा ( कल्लाणमंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता ) ४क्ष्या २१३५, म २१३५, ३१ २१३५, शैत्य (ज्ञान) १३५, महावीर प्रभुनी पर्युपासना ४शन ( इमाइं च एयारूवाई अट्टाई हेऊई पसिणाई) मा ४२न। , तुमे, प्रश्नो (कारणाई वागरणाई ) ४२01, मने व्या४२।, विषे (पुच्छित्तए) तेभने ५७. (त्ति क ) भा प्रभारी मनमा विया२ यो, ( एवं संपेहेइ ) को प्रमाणे स४८५ ध्य. ( संपेहित्ता ) मेवे (वय ४शन (जेणेव परिवायगावसहे तेणेव उबागच्छइ ) ज्या परिना। २२ता ता तेममा तमो गया. (उवागच्छित्ता) त्यां ने
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨