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भगवतीसूचे साहणंति' तस्मात् द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतो न संहन्येते, यस्मात् द्वयोः परमायोः स्नेहकायो नास्ति तस्मात् कारणात् द्वयोः परमाण्वोः परस्परं संमेलनं न भवति, तथा-'तिणि परमाणुपोग्गला ' त्रयः परमाणुपुद्गलाः 'एगयओ साहणंति' एकतः संहन्यते 'कम्हा तिष्णि परमाणु पोग्गला एगयओ साहणंति' कस्मात् त्रयः परमाणुपुद्गला एकतः संहन्यते? 'तिहिं परमाणु पोग्गलाणं' त्रयाणां परमाणुपुद्गलानाम् ' अस्थि सिणेहकाए' अस्ति स्नेहकाय:-स्नेहपर्यायराशिः, 'तम्हा परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति ) दो परमाणु पुद्गल आपस में मिलकर एक स्कन्धरूपपर्याय को उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। (स्निग्धरूक्षत्वाधः) ऐसा सिद्धान्त का वचन है। स्निग्ध स्निन्ध का, स्निग्ध रुक्ष का और रूक्ष रूक्ष का आपस में बंध हो जाता है। अतः बंध होने के लिये स्निग्ध रूक्ष गुण सापेक्ष होता है । यह दो परमाणु सूक्ष्म हैंअतः उनमें स्नेह-चिकाश नहीं रहता है । इस कारण उम का परस्पर संमेलन नहीं होता है । तथा-(तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ साहगंति ) तीन परमाणु पुगल आपस में मिलकर एक व्यणुक रूप स्कन्ध पर्याय को उत्पन्न करते हैं। क्यों कि जब ये आपस में मिलते हैं तब इनमें स्थूलता आ जाती है। इसका कारण उनमें स्नेहकाय आ जाने से उनका परस्पर में संमेलन हो जाता है। यही बात सूत्रकार ने (कम्हा तिणि परमाणु पोग्गला एगयओ साहणंति ) इस सूत्रपाठ द्वारा शंका रूप से उत्थापित कर (अस्थि सिणेहकाए तम्हा तिण्णि परमाणु पोग्गला पर्याय राशि होती नथी. ते २0 दो परमाणु पोग्गला एगयओ न साहणति" બે પરમાણુ પુલ પરસ્પર મળી જઈને એક ધરૂપ પર્યાયને ઉત્પન્ન કરી Asdi नथी. “ स्निग्धरूक्षत्वाद्बंधः " मे सिद्धांतनु पयन छ. नि साथे સ્નિગ્ધનો, નિશ્વરૂક્ષને અને રક્ષણક્ષને પરસ્પરમાં બંધ થઈ જાય છે. તેથી બંધ થવાને માટે સ્નિગ્ધ રૂક્ષ ગુણ સાપેક્ષ હોય છે. અહીં બે પરમાણુ સૂક્ષમ હોય છે, તેથી તેમનામાં સ્નેહ-ચિકાશ રહેતી નથી. તે કારણે તેમને પરસ્પ२मा सया॥ यतो नथी. तथा “ तिहि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति " ત્રણ પરમાણુપુલે અરસપરસમાં મળીને એક વ્યયુકરૂપ સ્કંધપર્યાયને ઉત્પન્ન કરે છે, કારણ કે જ્યારે તેઓને પરસ્પરમાં સંગ થાય છે ત્યારે તેમનામાં સ્થૂલતા આવી જાય છે, તે કારણે તેમનામાં નેહકાય આવી જવાથી તેમનો ५२९५२मा संयोग थ६ तय छे. मे वात सूत्रा “कम्हा तिणि परमाणु पोग्गठा एगयओ साहणंति " या सूत्रा 43 २१३२ २ ४१२ “अस्थि
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨