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________________ प्रमैयदिन्का टीका श० १ १० १० सू० १ अन्ययूथिकमतनिरूपणम् ७४ माणस्य भाषा । पूर्व क्रिया दुःखा, क्रियमाणा क्रिया अदुःखा, क्रियासमयव्यतिक्रान्ता च खलु कृता क्रिया दुःखा । या सा पूर्व क्रिया दुःखा, क्रियमाणा क्रिया अदुःखा, क्रियासमयव्यतिक्रान्ता च खलु कृता क्रिया दुःखा, सा किं करणतो दुःखा अकरणतो दुःखा, अकरणतः खलु सा दुःखा, नो खलु सा करणतो दुःखा, भाषाहै तो वह भाषा किस की है क्या बोलते हुए की वह भाषा है? या नहीं बोलते हुए की वह भाषाहै ? (अभासओ णं सा भासा, नो खलु सा भासओभामा) अभाषमान नहीं बोलते हुएकी वह भाषा है बोलते हुएकी वह भाषा नहीं है ।(पुल्वि किरिया दुक्खा,कज्जमाणी किरिया अदुक्खा) पहिले क्रिया दुःख है-दुःख हेतु है। की जाती क्रिया दुःख-दुःख हेतु-नहीं है। (किरिया समयवहात णं कडा किरिया दुक्खा) तथा पहिले की गई क्रिया दुःख-दुःखहेतु है । ( पुन्धि किरिया दुक्खा, कज्जमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीइकंतं च णं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणी दुक्खा, अकरणओ दुक्खा) पहिले क्रिया दुःख है, की जाती किया दुःख नहीं है । और की गई क्रिया दुःख है तो वह क्रिया करण से दुःख है कि नहीं करण से दुःख है ( नो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्सव्वं सिया) वह करण से दुःख नहीं है ऐसा कहना चाहिये। अर्थात्-अकબેલાયેલી ભાષા; ભાષા હોય તે તે ભાષા કોની છે-શું બોલતાની તે ભાષા छ नही मारताना ते मा छ ? ( अभासओ णं सा भासा, नो खलु सा भासओ भासा) समापमाननी-डी मोसनारनी-ते लाछ, ५२ लापमाननी -मासतानी ते भाषा नथी. (पुद्वि किरिया दुक्खा, कज्जमाणी किरिया अदुक्खा) કર્યા પહેલાં ક્રિયા દુઃખ-દુઃખહેતુ છે, જે ક્રિયા કરવામાં આવી રહી હોય છે ते -पहेतु नथी. (किरिया समयवइकंत णं कडा किरिया दुक्खा ) तथा ५i ४२॥येसी लिया :म-पतु छे. (पुचि किरिया दुक्खो, कज्जमाणी किरिया अदुक्खा, किरिया समयवीइक्कत च णं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणओ दुक्खा, अकरणओ दुक्खा ) ४ा पडेखin दुमडेतु હોય, કરાતી ક્રિયા દુઃખહેતુ ન હોય અને કરાયેલી ક્રિયા દુઃખહેતું હોય, તે તે ક્રિયા કરણકાલમાં કરનાર વ્યક્તિના દુઃખની હેતુભૂત હોય છે કે નહીં કરनारना मना हेतुभूत जय छ(नो खलु सा करणओ दुक्खा, सेव वत्तव्य सिया ) ते ४२ना२ने मनी तुभूत यती नथी-५५५ मठियमा डाय त्यारे કરવાને સમયે ન કરાતી ક્રિયા નહીં કરનારને દુખની હેતુભૂત થાય છે. (તે શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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