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प्रमेयचन्द्रिका टीका अ०५ उ०९ सू०५ कालास्यवेषिकपुत्रप्रश्नोत्तरनिरूपणम् ३०१ वन्दते नमस्यति, वन्दित्वा नमस्यित्वा एवमवादीत् , एतेषां भदन्त पदानां पूर्वमज्ञानतया अश्रवणतया अबोधितया अनभिगमेनादृष्टानामश्रुतानामस्मृतानामविज्ञातानामव्याकृतानामव्युच्छिन्नानामनिदानामनवधारितानामेषोऽर्थो नो अद्धितो नो प्रतीतः (प्रत्ययितः) नो रुचित इदानीं भदन्त । एतेषां पदानां ज्ञानतया श्रवणतया-बोधितयाऽभिगमनेन दृष्टानां श्रुतानां स्मृतानां विज्ञातानां व्याकृतानां खु णे आया संजमे उचट्ठिए भवइ ) इस तरह हम लोगों की आत्मा संयम में उपस्थित हो जाती है । ( एत्थ णं से कालासवेसियपुत्ते) ऐसा सुनकर वे कालस्यवेषिक पुत्र ( अणगारे ) अनगार ( संबुद्धे ) संबुद्ध हो गये। (थेरे भगवन्ते वंदइ, णमंसइ) उन्हों ने स्थविर भगवन्तों को वन्दना की। उन्हें नमस्कार किया । ( वन्दित्ता णमंसित्ता) वन्दना नमस्कार करके फिर वे उन से ( एवं क्यासी) इस प्रकार बोले ( भंते!) हे भदन्तो) (पुन्धि ) पहिले मैं ने ( अन्नाणयाए ) अज्ञानता के कारण (असवणयाए ) अश्रवणता के कारण ( अबोहियाए ) अबोधिता के कारण ( अनभिगमेणं ) अनभिगम (नहीं जानने) के कारण (अदिट्ठाणं) नहीं देखे गये (अस्सुयाणं) नहीं सुने गये ( अस्सुयाणं) नहीं स्मृत किये गये ( अविनायाणं ) नहीं विज्ञात किये गये (अव्योगडाणं) नहीं व्याकृत (प्रगट ) किये गये ( अवोच्छिन्नाणं) नहीं व्युच्छिन्न किये गये ( अणिज्जूढाणं ) नहीं नियंढ किये गये ( अणुवधरियाणं) नहीं अव. धारित किये गये ( एएसिंणं पयाणं ) इन पदों के (एयमलैं) इस अर्थ २४ तय छ. (एव खु णे आया संजमे उवट्टिए भवइ ) 24रीत मारे। मात्मा सयममा उपस्थित थ य छ. (एत्थ ण से कालासवेसियपुत्ते अणगारे संबुद्धे ) तेमना 22 प्रा२नi क्या Aile सास्य३षि पुत्र मा. ॥२ माघ पाभ्या. (थेरे भगवते वदइ, णमसइ) त्या२ मा तेभरे स्थविर लगाताने | ४श मने नम२४१२ ४ा (वंदित्ता णमंसित्ता) वहन नभ१२ उरीने (एवं क्यासी) तमाणे तभने २ प्रमाणु ४थु- भिंते !) पूज्या! (पुलिंब ) ५९i (अन्नाणयाए ) अज्ञानताने ४१२२, (असवणयाए) 240Aताने ४२), (अबोहियाए ) मनधिताने ४२, ( अनभिगमेण) Aणुसमने
२), (अदिवाण) नही देणे, (अस्सुयाण ) नही सोमणेतi, (अस्सु. याण )नी स्मृत ४२८, ( अविनायाण) नहीं विशात रायेai, (अयोगडाण) नही प्र४८ ४२।येतi, ( अवोच्छिन्नाण ) नही व्युरिछन्न ४२१येस (अणिज्जूढाण) नही नियू ४२।येi, ( अणुवधारियाण) नडी अधारित ४२रायेस (एएसिं ण पयाण) मेवा मा पोनी (एयम8) मा म (नो सहहिए) में श्रद्धा
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨