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प्रयमेचन्द्रिकाटीका श० १ उ० २ सू० २ नैरयिकस्वरूपनिरूपणम् ३९३ क्ष्णमाहरन्ति, अभीक्ष्णं परिणमयन्ति, अभीक्ष्णमुच्छ्वसन्ति, अभीक्ष्णं निःश्वसन्ति, तत्र ये तेऽल्पशरीरास्तेऽल्पतरान् पुद्गलानाहरन्ति, अल्पतरान् पुद्गलान् परिणमयन्ति, अल्पतरान् पुद्गलानुच्छ्वसन्ति, अल्पतरान् पुद्गलान् निःश्वसन्ति, आहत्याहरन्ति, आहत्यपरिणमयन्ति, आहत्योच्छ्वसन्ति, आहत्यनिःश्वसन्ति, तत्तेनाग्गले उस्ससंति ) बहुसंख्यकपुद्गलों को उच्छ्वासरूप से ग्रहण करते हैं । (बहुतराए पोग्गले नीससंति) बहुसंख्यक पुद्गलोंको निःश्वासरूप से छोड़ते हैं। (अभिक्खणं आहारेंति ) बारंबार आहार करते हैं। (अभिक्खणं परिणामेंति ) बारंबार परिणमाते हैं । ( अभिक्खणं उस्ससंति, अभिक्खणं नीससंति ) बारंबार उच्छ्वास लेते हैं, बारंबार निःश्वास छोड़ते हैं, (तत्थणं जे ते अप्पसरीरा ) तथा जो अल्पशरीरवाले नारक जीव हैं (ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारेंति ) वे अल्पतर पुद्गलों का आहार करते हैं । (अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति) अल्पतर पुद्गलों को परिणमाते हैं। (अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति ) अल्पतर पुद्गलों को श्वासरूप से ग्रहण करते हैं । ( अप्पतराए पोग्गले नीससंति) अल्पतर पुद्गलों को निःश्वासरूप से छोड़ते हैं । (आहच्च आहारेंति) कदाचित आहार करते हैं। (आहच्च परिणामेंति ) कदाचित् परिणमाते हैं। (आहच्च उस्ससंति ) कदाचित् श्वास लेते हैं । (आहच्च नीससंति) कदाचित् निःश्वास लेते हैं। (से तेणटेणं-गोयमा!एवं धुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा, नो सव्वे समसरीरानो सव्वे समुस्सास-निस्सासा) पोताना शरी२३५ परिमावे छ, (बहुतराए पोग्गले उस्ससंति ) दुस-य पुगसाने पास३पे अड ४२ छ, (बहुतराए पोग्गले नीससंति) अन्य पशान निवास३पे छ। छ, (अभिक्खणं आहारेंति) वार वा२ माडा२ ४२ छ, ( अभिक्खणं परिणामेंति) वारंवार परिणभाव छ, (अभिक्खणं उससंति, अभिक्खणं नीससंति) वारवा२ पास से छे, मने वारवार नि: वास छ। छ. (तस्थण जे ते अप्पसरीरा) तथा 2 २५६५शरी२i ना२४ वो छ (तेणं अप्पतराए पोग्गले आहारेति) तेस। मयत२ पुगसानो माहार रे छ, (अप्पतराए पोग्गले परिणामें ति) महत२ पुगतान पोताना शरी२३३ परिशमन ४२ छे, (अप्पतराए पोग्गले उसस्संति ) १८५२ पुसोने वास३५ अड ४२ छ, (अप्पतराए पोग्गले नीससंति) २५६५२ पुसवाने नि:श्वास३थे छोडे छे. ( आहेच आहारेति ) ज्या२४ मा १२ ४२ छ, (आहच परिणामेंति ) च्या२४ परिणभावे छ, (आहच्च उस्ससंति) ध्या२४ श्वास से छे, मन (आहच्च नीससंति) ध्या२४ नि:श्वास से छे. ( से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा, नो सव्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सास निस्सासा) ते रो र गौतम !
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧