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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १७०१ सू० १४ नरकजीवपुद्गलभेदनिरूपणम् २१५ नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधाः पुद्गलाश्रीयन्ते, गौतम ! आहारद्रव्यवर्गणामधि कृत्य द्विविधाः पुद्गलाश्रीयन्ते तद् यथा-अणवश्चैव बादराश्चैव, एवमुपचीयन्ते । नैरयिका भदन्त ! कतिविधान् पुद्गलानुदीरयन्ति, गौतम ! कर्मद्रव्यवर्गणामधिकृत्य द्विविधान् पुद्गलानुदीरयन्ति, तद् यथा अणूंश्चैव बादरांश्चैव। शेषा अप्येवमेव भणिहैं । (तं जहा) वे इस प्रकारसे हैं-(अणू चेव, बायरा चेव ) एक सूक्ष्म
और दूसरे बाद। (भंते!) हे भदन्त ! (नेरइयाणं) नारक जीवोंके (कहविहा) कितने प्रकारके (पोग्गला ) पुद्गलों का (चिजंति ) सामान्य रूपसे चय होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (आहारव्यवग्गणमहिकिच्च) आहार द्रव्य वर्गणाको आश्रित करके (दुविहा) दो प्रकारके (पोग्गला)पुद्गल (चिजंति) चयको प्राप्त होते हैं-सामान्य रूपसे बढते हैं। (तं जहा) वे ये हैं (अणूचेव बायराचेव) एक अणू और दूसरे बादर । (एवं उवचिजंति)इसी प्रकारसे उपचय (विशेषरूप बढने में भी जानना चाहिये। (नेरइयाणं भंते ! कइविहे पोग्गले उदीरेंति) हे भदन्त ! नारक जीव कितने प्रकारके पुद्गलों की उदीरणा करते हैं ? । (गोयमा !) हे गौतम ! नारक जीव (कम्मदव्व वग्गणमहिकिच ) कर्मद्रव्यवर्गणाको आश्रित करके (दुविहे पोग्गले) दो प्रकारके पुद्गलोंकी (उदीरेंति) उदीरणा करते हैं । (तं जहा) जैसे(अणूचेव बायराचेव ) अणुओंकी और दूसरे बादरोंकी (सेसा वि एवं चेव भाणियव्वा ) अवशिष्ट पदोंका भी इसी प्रकारसे कथन कर लेना
मा प्रभारी डाय छ-(अणूचेव, बायराचेव) (१) सूक्ष्म अने (२) मा६२. ( भंते) 3 महन्त ! ( नेरइयाणं कइविहा पोग्गलो चिजंति ) ना२४ वोन Bean Aai पुगताना सामान्य३थे २५ थाय छे ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च) माडा२ द्रव्य वगाने माश्रित प्रशने (दुविहा) में प्रारना (पोग्गला) पहली (चिजति) यय पामे छे. (तं जहा) ते २मा प्रमाणे छ-(अणूचेव बायरा चेव) (१) मा भने (२) मा४२. (एवं उवचिजति ) ५ययमा पण से २१ प्रमाणे समन्. (नेरइयाणं भते ! कइविहे पोग्गले उदीरे ति) महन्त ! ना२४ वटा प्रश्न पुगतानी ही२९॥ ४२ छ ? (गोयमा) 3 गौतम ! ना२४ 01 (कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च) भद्र०याने माश्रित रीने (दुविहे. पोग्गले उदीरेंति) मे २i Yगलानी ही२५! ४२ छे. (तं जहा) ते प्रा२। मा प्रभारी छ-( अणूचेव बायराचेव ) मामानी (सूक्ष्म ) मने मानी. (सेसावि एवं चेव भाणियवा) मातीनां पहोर्नु ५Y प्रमाणे ४ ४थन
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧