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________________ २१४ भगवतीसूत्रे मूलम्-नेरइयाणंभंते! कइविहा पोग्गला भिजति ! गोयमा कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जंति, तं जहाअणूषेव बायरा चेव। नेरइयाणं भंते कइविहा पोग्गला चिजति, गोयमा ! आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला चिजंति. तं जहा-अणूचेव बायरा चेव । एवं उवचिजंति। नेरइयाणं भंते ! कइविहे पोग्गले उदीरेंति, गोयमा! कम्मदव्ववगणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदी रेति, तं जहा-अणूचेव बायरे चेव । सेसा वि एवं चेव भाणियव्या वेदेति णिजेरेंति, ओवदिसु ओवहति ओवहिस्संति, संकामिंसु संकामेंति संकामिस्संति,णिहत्तिंसु णिहत्तेति णिहत्तिस्संति, णिकाइंसु णिकाइंति, णिकाइंस्संति, सव्वेसु वि कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च, गाहाभेदिय चिया उवचिया, उदीरिया वेइया य णिजिण्णा। उव्वदृण संकामण णिहत्तण णिकायणे तिविहकाले ॥१॥सू०॥१४॥ छाया--नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधाः पुद्गला भिद्यन्ते, गौतम ! कर्मद्रव्यवर्गणामधिकृत्य द्विविधाः पुद्गलाः भिद्यन्ते तद् यथा अणवश्चैव बादराश्चैव । ' नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला भिज्जंति' इत्यादि । (भंते !) हे भदन्त ! (नेरइयाणं) नारक जीवोंके (कइविहा) कितने प्रकारके (पोग्गला) पुद्गल विविध भेदवाले होते हैं ? (गोयमा!) हे गौतम ! (कम्मव्ववग्गणमहिकिच्च) कर्मद्रव्यवर्गणाको आश्रित करके (दुविहा) दो प्रकार के (पोग्गला) पुद्गल (भिजंति) विविध भेदवाले होते - " नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला भिज्जंति" इत्यादि । ( भंते ) 3 महन्त ! (नेरइयाणं कइविहा पोग्गला) ना२४ वोन सा teen Ri Y विविध सेवाजा डाय छ ? (गोयमा ! ) गौतम ! ( कम्मदव्ववगणमहिकिच्च ) द्रव्य वाणाने माश्रित शने (दविहा) से २i (पोग्गला) पुगत (भिज्जति) विविध सेहवाणा डाय छे. (तंजहा) ते શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧
SR No.006315
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages879
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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