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________________ - प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १ ० १ सू० ६-७ गौतमस्वामिवर्णनम् १२९ मूलम्-परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया ॥सू०६॥ छाया-परिषनिर्गता, धर्मः कथितः, परिपत् प्रतिगता ॥मू०६॥ टीका-'परिसा निग्गया' इत्यादि। 'परिसा' परिषत् नागरिकजनसमुदायरूपा 'निग्गया' निर्गता भगवदर्शनार्थ नगरतो निस्मृता । तत्र-राजनिर्गमोऽन्तःपुरनिर्गमः, तत्पर्युपासनं चेति सर्वमौपपातिकवद् वाच्यम् । 'धम्मो कहिओ' धर्मः कथितः, धर्मकथावर्णनं चौपपातिकसूत्रे विलोकनीयम् । तदर्थश्च मत्कृतायां पीयूषवर्षिणीटीकायां विलोकनीयः। 'परिसा पडिगया' परिषत् प्रतिगता भगवतो धर्मदेशनां श्रुत्वा भगवन्तं वन्दित्वा नमस्यित्वा धर्मकथाप्रशंसनं कुर्वती परिषत् यामेव दिशमाश्रित्य प्रादुर्भूता तामेव दिशं प्रतिगता ॥सू०६॥ 'परिसा निग्गया' इत्यादि । श्रमण भगवान महावीर का आगमन सुनकर नागरिकजनों की समुदायरूप (परिसा) परिषत्, भगवान के दर्शन करने के लिये नगर से (निग्गया) निकली । औपपातिक सूत्र में जिस प्रकार से राजनिर्गमका, अन्तःपुरनिर्गम का और इनके द्वारा कृत प्रभु की पर्युपासना का वर्णन किया गया है वह सब वर्णन यहाँ पर भी जानना चाहिये । (धम्मो कहिओ) धर्मकथा कही। धर्मकथा का वर्णन औपपातिकसूत्रमें आया है। धर्मकथासंबंधी वर्णनमें जो पद आये हैं उनका अर्थ मैंने उसकी पीयूषवर्षिणी टीकामें जो मेरे द्वारा रची गई है उसमें स्पष्ट किया है अतः उसको जिज्ञासु जनको देखना चाहिये । (परिसा पडिगया) भगवान की धर्मदेशना सुनकर वह परिषत् उन्हें वन्दना करके, नमस्कार करके, " परिसा निग्गया " इत्यादि । શ્રમણ ભગવાન મહાવીરના આગમનને સમાચાર સાંભળીને નગરજનના समुदाय ३५ (परिसा) परिष४ मशवानना ४शन ४२वाने माटे नगरमाथी (निग्गया) नीजी. मोराति सूत्रमा ४२ निगमर्नु भने मन्त:पुर નિર્ગમનું તથા તેમના દ્વારા કરાયેલ પ્રભુની પર્યાપાસનાનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું छे ते समस्त वणुन मी ५५] सभ७ वार्नु छ. प्रभुमे (धम्मो कहिओ) ધર્મકથાના વર્ણનમાં જે પદ આવ્યા છે તેમના અર્થ મારા દ્વારા લખાયેલ પીયૂષવર્ષિણી ટીકામાં સ્પષ્ટતાપૂર્વક આપવામાં આવેલ છે તે જિજ્ઞાસુઓએ તે से अवश्य वायवी. (पडिसा पडिगया) मावाननी यम देशना सामणीने, भ०१७ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧
SR No.006315
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages879
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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