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भावबोधिनी टीका. असुरकुमाराद्यावासनिरूपणम्
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बारह देवलोकों में तथा नव ग्रैवेयकों में और पांच अनुत्तर विमानों में (चउरासीइं - बिमाणावामसयस हम्सा) चतुरशीति विमानावासशतसहस्राणि - चौरासी लाख (सत्तागउडच सहस्सा तेवीसं च) सप्तनपतिश्च सहस्राणि त्रयोविंशतिश्व - सतानवें हजार तेवीस (विमाणा भवतीति मक्खाया) विमानानि भवन्तीत्याख्यातम् - विमान हैं ऐसा भगवान ने कहा हैं। (तेगं विमाणा) तानि ग्खलु विमानानि - इन विमानों की प्रभा (अचिमालिप्पभा) अचिर्मालि:प्राभाणि सूर्य की प्रभा के समान है। (भासरासिवण्णाभा) भासरा शिवर्णाभाणि - इनकी कान्ति प्रकाशराशिवाले सूर्य के वर्ण जैसी है। (अरया) अरजांसि स्वाभाविक रज से रहित हैं। ( नोरया) नीरजांसि उडके आने वालीधूलि से वर्जित हैं। (णिम्मला) निर्मलानि-निर्मल हैं। (वितिमिरा) वितिमि राणि - कृत्रिम अंधकार से रहित हैं। (विसुद्धा) विशुद्धानि - स्वाभाविक अंधकार रहित हैं। (सव्वरयणामया) सर्वरत्नमयानि - कर्केतनादि रत्नमय हैं। (अच्छा) अच्छानि - आकाश एवं स्फटिक की तरह निर्मल हैं। (सहा) लक्ष्णानि चिकने हैं। (घट्टा) घृष्टानि - खुरशाण से घिसे हुए जैसे चमकते हैं, (मट्ठा) मृष्टानि - बडे कोमल सुवाले है (पिंका) निष्पकाणि - कीचड रहित हैं, (णिकंकडच्छाया) निष्कण्टकच्छायानि इनकी कांति आवरण या श्रवेयामां, तथा पांथ अनुत्तर विभानामां (चउरासीइं विमाणावाससय सहस्सा) चतुरशीतिर्विमानावासशतसहस्राणि - यार्यासी लाम ( सत्ताण उड् च सहस्सा तेवीस च ) सप्तनवतिश्च सहस्राणि त्रयोविंशतिश्च सत्तालु उन्नर तेवीस (विमाणा भवतीति मक्खाया) विमानानि भवन्तीत्याख्यातम् - विभ न छे मे लगवाने लायेस छे. (ते णं विमाणा) तानि खलु विमानानि ते विमाना (अचिमालिप्पा) अर्चिर्मालि: प्रभाणि-सूर्य समान प्रभावाणा छे, (मासरासिवण्णाभा) भासराशिवर्णाभाणि ते विभानोनी अन्ति प्राशराशिवाजा सूर्यना वर्षा नेवी छे. (अरया) अरजांसि तेथे स्वाभाविक २०० विनानां छे, (नीरया) नीरजांसि - उडीने भावनारी धूजथी पशु रडित छे, (णिम्मला) निर्मलानि - निर्माण छे, (वितिमिरा) वितिमिराणि - कृत्रिम अंधारथी रहित छे (विसुद्धा) विशुद्धानि - स्वाभावि अधारथी रडित छे, (सव्वरयणामया) सर्वरत्नमयानि - दुर्डेतन व्याहि रत्नमय छे, (अच्छा) अच्छानि - माऊश भने स्कूटिङ समान निर्माण छे, (सहा) श्लक्ष्णानि भुलायम छे, (घडा) घृष्टानि - सरागुना पथ्थर ५२ धस्यां हाय मेत्रांत छे. (मट्ठा) मृष्टानि - अभगमने सुवाणां छे. (णिका) निष्पकाणि- डीड २डित छे. (णिकंकडच्छाया)निष्कण्टकच्छायानि
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
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