________________
भावबोधिनी टीका. नवमानस्वरूपनिरूपणम्
७८५ भक्तपान-प्रत्याख्यान, (पाओवगमणाइ) पादपोपगमनानि-पादपोपगमन संथारा, अणुत्तरोववाओ) अनुत्तरोपपात:-अनुत्तर विमानो में जन्म, सुकुल पच्चायाया) सुकुलप्रत्यायातानि-वहां से चक्कर उत्तमकुलों में जन्म (पुणो बोहिलाभो) पुनर्वाधिलाभा:-फिर बोधि का लाभ, (अंतकिरियाओ) अन्तक्रियाश्च-मोक्ष की प्राप्ति ये सब विषय इस सूत्र में कहे गये है! (अणुत्तरोबवाइयदसासु णं) अणुत्तरोपपातिकदशासु खल-इस अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र में (परमंगल्लजगहियाणि) परमाङ्गल्यजगद्धितानि-तीर्थकरों के सर्वोत्कृष्ट मंगलभूत तथा जगत के हितकारक रूप (तित्थकर समोसरणाई) तीर्थकर समवसरणानि-तीर्थंकरों के समवसरणों का (बहुविसेसा) बहुविशेषाः-उनके ३४ चोतीस अधिक जिनातिशेषों का (देहं विमलसुयंध) देहो विमलसुगन्धः-भगवान का शरीर निर्मल-और सुगन्धित है (जिणा तिसेसा य) जिनातिशेषाश्च-ऐसे चौंतीस अतिशयों का, (जिणसीसा णं चेव)जिन शिष्याणां चैव-जिन शिष्यों के (समणगणपवरगंधहत्थीणं) श्रमणगणप्रवरगन्धहस्तिनां-श्रमणगण के मध्य श्रेष्ठगन्धहस्ति के समान (थिरजसाणं) स्थिरयशसां-सर्वकालस्थायी कीर्तिवाले एवं स्थिरसंयमवाले (परिसहसेण्णरिउबलपमद्दणाणं ) परिषहसैन्य रिपुबलप्रमर्दनानाम्-परीषह ख्यानानि-माडा२पाना, प्रत्याभ्यान, (पाओवगमणाई)पादपोपगमनानि-पा। समान, सा२।, (अणुत्तरोववाओ) अनुत्तरोपपात:-मनुत्त२ विमानामा म (मुकुलपच्चायाया) सुकुलप्रत्यायातानि-त्यांथी 24वीन उत्तम जोमा गम, (पुणो बोहिलाभा) पुनर्वाधिलाभाः-शथी माविलाल निशासननी प्राप्ति, (अंतकिरियाओ) अन्तक्रियाश्च भाक्षनी प्राप्ति, ये मया विषयानु न , (अणुत्तरोववाइयदसासु णं) अणुत्तरोपपातिकदशासु खलु-सामनुत्त५पाति ६in सूत्रमा (पामंगलजगहियाणि) परमाङ्गल्यजगद्धितानी-तीय सेना साकृष्ट भ७४२ तथा तने. भाटे ति॥ (तित्थकरसमोसरणाई) तीर्थ ४२ समवसरणानि-समवसरण।नु (बहुविसेसा) बहुविशेषाः-तमना ३४ यात्रीस fortuतिशेषानु-मतिशयोनु ( देहं विमलसुगंध) देहो विमलसुगन्धः-- माननु शरीर नि भने सुगन्धित राय छ, ( जिणातिसेसा य ) जिनातिशेषाश्च--मेवi यात्रीस अतिशयानु, ( जिणसीसाणं चेव ) जिनशिष्याणां चैव-निना शिष्यानु, (समणगणपवरगंधहत्थीणं) श्रमण गणप्रवरगन्धहस्तिनां-श्रम।न। समूहना श्रेष्ठ हाथीना समान, (थिरजसाणं) स्थिरयशसां-मविया अति॥ मने स्थि२ सयमाणा (परीसहसेण्णरिउबल
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર