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भावबोधिनी टीका. वासुदेववलदेवमतापितादिनामनिरूपणम् ११३५ तिवर्ट य आगमिस्साण विण्हुणो । जयंते विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे। आणंदे नंदणे पउमे संकरिसणे' य अपच्छिमे ॥८५॥ एएसि णं नवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया णव नामधेजा भविस्संति, नव धम्मायरिया ॥ संति, नवनियाणभूमीओ भविस्संति नव नियाणकारणा भविस्संति, नव पडिसत्तू भविस्संति, तं जहातिलए य लोहजंघे वइरजंघे य केसरी पहरोए । अपराइए य भीम महाभीमे य सुग्गीवे ॥८६॥ एए खलु पडिसत्तू कित्तिपुरिसाण वासु. देवाणं । सव्वे वि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहि।।८७॥ सू० २१६॥
शब्दार्थ-(जंबूद्दी वे णं दीवे)जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे-इस जंबूद्वीप नाम के द्वीप में (भारहे वासे) भारते वर्षे-भारत वर्ष में (आगमिस्साए उस्सप्पिणीए) आगमिप्यन्त्यामुत्सर्पिण्यां-आगामी उत्सर्पिणीकाल में (नव बलदेव बासु. देव पियरो भविस्संति) नव बलदेववासुदेव पितरो भविष्यन्ति-नौ बल. देव और नौ वासुदेव के नौ पिता होंगे । (नव वासुदेव मायरो भविस्संति) नव वासुदेवमातरो भविष्यन्ति- नौ वासुदेव की माताए होंगी, (नव बलदेव मातरो भविष्यन्ति-नौ बलदेव की माताएं होंगी, (नव दसारमंडला भविस्संति) नव दशाह मण्डलानि भविष्यन्ति-इस तरह नौ बलदेव और नौ वासुदेव के मंडल होंगे-अर्थात्-एक बलदेव एक वासुदेव इस तरह से इनके दो दो के नौ युगल होंगे। (उत्तमपुरिसा, मज्झिमपुरिसा ____ा --(जंबूद्दीवेणं दीवे) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे-भूद्रीय नामना मा द्वीपमा (भारहे वासे) भारते वर्ष-भारत मां (आगमिस्साए उस्सप्पिणीए) आगमिष्यन्त्यामुत्सर्पिण्यां-मागाभी Gallel मा (नव बल देव वासुदेव पियरो भविस्संति) नव बलदेव-वासुदेवपितरो भविष्यन्ति-नव महेय भने न4 पासुचना न पिता थशे. (नव वासुदेवमायरो भविस्संति) नव वासुदेवमातरो भविष्यन्ति-नवासुदे॒वोनी नभातासो थशे. (नव बलदेव मायरो भविस्संति) नव बलदेवमायरो भविष्यन्ति-महेवानी नव भाताया थशे. (नव दसारमंडला भविस्संति) नब दशाहमण्डलानि भवि. प्यन्ति-मा शते न १ भने नासुदेवन न भ७१ थशे-मेटले ३ मे। मणव भने ४ पासुहेव, ओम सोना नव युगल थरी. (उत्तमपुरिसा, मज्झिम
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર