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________________ सुधा टीका स्था०९ सू० १६ शरीर छिद्रनिरूपणम् २६१ टीका - " वसोयपरिस्वा " इत्यादि - बोन्दी - शरीरं, तदत्रौदारिकमेव ग्राह्यम्, साच बोन्दी नवस्रोतः परिस्रवा - नवमिः - अनुपदं वक्ष्यमाणैः स्रोतोभिः = छिद्रैः परिस्रवति-क्षरतीति नवस्रोतः परिस्रवा प्रज्ञप्ता, तानि नव स्त्रोतांसि कानि सन्तीत्याह - ' तं जहे ' त्यादि, तद्यथा - द्वे श्रोत्रे - श्रवणेन्द्रिये २, द्वे नेत्रे ४, द्वे घाणे - नासिके ६ मुखं ७ पोस:- मूत्रेन्द्रियम् = पायुः - गुदम् ९, इति नवस्रोतांसि || सू० १६ ॥ पूर्वं नवच्छिद्रं शरीरमुक्तं, सम्पति तत्साध्यपुण्यभेदानाह मूलम् — वचिहे पुण्णे पण्णत्ते, तं जहा - अन्नपुणे १, पाणपुणे २, वत्थपुणे ३, लेणपुणे ४, सयणपुण्णे ५, मणपुणे ६, वइपुणे ७, कायपुण्णे ८नमोक्कारपुण्णे ९ | सू०१७॥ छाया - नवविधं पुण्यं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा - अन्नपुण्यं १, पानपुण्यं २ २, वस्त्रपुण्यं ३, लयनपुण्यं ४ शयनपुण्यं ५ मनःपुण्यं ६, वाक्यपुण्यं ७, कायपुण्यं ८ नमस्कार पुण्यम् ९ ।। सू० १७ ॥ ये कही गई विकृतियां शरीर के उपचयमें कारणरूप होती हैंसूत्रकार अब यह प्रकट करते हैं कि शरीर में कितने छिद्र हैं-" णवसोयपरिस्सचा " इत्यादि || सूत्र १६ ॥ - टीकार्थ - यह औदारिक शरीर नौ छिद्रोंवाला कहा गया है, “बोंदी' नाम शरीरका है शरीर से यहाँ औदारिकशरीर गृहीत हुआ है, स्रोत शब्दका अर्थ छिद्र है, इन नौ छिद्रोंसे यह औदारिकशरीर बहता रहता है वे नौ छिद्र इस प्रकार से हैं दो श्रोत्र, दो नेत्र, दो घाण-नासिका मुख, सूत्रेन्द्रिय और गुदा इस प्रकार से ये नौ द्वार हैं |०१६ | કેટલાંક છિદ્રો હાય છે, તેથી હવે સૂત્રકાર તે છિદ્રોની સખ્યા પ્રકટ કરે છે— जव सोय परिस्वा " त्याहि (सू. १६) " टीडार्थ-मा गौहारिस शरीर नव छिद्रोषाणु ह्युं छे. “बोंदी" या यह शरीरना મ'માં વપરાયું છે અહી. શરીર પદ વડે ઔદારિક શરીરને જ ગ્રહણ કરવામાં આવ્યું છે. ‘ સ્રોત ’પદ્મ છિદ્રના અર્થમાં વપરાયુ' છે ઔદારિક શરીરના નવ छिद्र ३५ नव द्वार नीचे प्रमाणे छे-से श्रोत्र ( अन ), से नेत्र, मेधाशु ( नसा ), भुञ, भूत्रेन्द्रिय भने गुहा ॥ सूत्र १६ ॥ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫
SR No.006313
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages737
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size39 MB
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