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________________ १०१ १०४ कुलकरके कोटिका निरूपण ३३८-३३९ पुद्गलके स्वरूपका निरूपण ३३९-३४० दशवें स्थानका प्रारम्भ दशवे स्थानका विषय विवरण लोकस्थितिका निरूपण ३४२-३४७ शब्दभेदका निरूपण ३४८-३४९ दश प्रकारके इन्द्रियार्थों का निरूपण ३५०-३५२ पुद्गलके स्वरूपका निरूपण ३५३-३५५ क्रोध के उत्पत्तिके कारणका निरूपण ३५६-३५८ संयमादि निरूपण ३५९-३६१ असंयरका विशेष प्रकारका कथन ३६२-३६३ समाधि और असमाधिका निरूपण ३६४ दश प्रकारकी प्रवृज्याका निरूपण ३६५-३६७ दश पकारके श्रमणधर्मका निरूपण ३६८ दश प्रकारकी वैयावत्यका निरूपण ३६९-३७० जीवके परिणामका निरूपण ३७१-३७८ अजीवके परिणामका निरूपण ३७९-३८६ अस्वाध्यायके स्वरूपका निरूपण ३८७-३९५ संयमासंयमके स्वरूपका निरूपण ३९६-३९८ सूक्ष्मके स्वरूपका निरूपण ३९९-४०० गंगासिंधु वगैरह नदियों में आत्मसमर्पण करनेवाली नदीक निरूपण ४०१-४०२ भरतक्षेत्रगत राजधानीका निरूपण ४०३.-४०५ जम्बूद्वीपगत मेरुके उद्वेध आदिका निरूपण ४०६ जम्बूमन्दर गत आठ प्रदेशवाले रुचक पर्वतका निरूपण ४०७-४०८ लवणसमुद्रगत गोतीर्थ रहित क्षेत्रका निरूपण ४०९-४१२ धातकी खण्डगत मंदरपर्वतके उद्वेध आदिका निरूपण ४१३-४१४ १०६ १०७ १०९ ११० ११२ ११३ ११४ ११६ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫
SR No.006313
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages737
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size39 MB
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