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________________ २६४ ७४ नवप्रकारके विकृति के नामका निरूपण २५८-२६० शरीरके नव छिद्रोंका निरूपण २६१ नव प्रकारके पुण्यका निरूपण २६२-२६३ पापके कारणोंका निरूपण पापश्रुतका निरूपण १६५-२६६ निपुण पुरुषका निरूपण २६७-२६९ साधुके गणका निरूपण २७०नवकोटि (नववाड) से शुद्ध भिक्षाका निरूपण २७१-२७२ ईशान देवेन्द्र के अग्रमहिषीका निरूपण २७३देवनिकायके स्वरूपका निरूपण २७४अव्यावाध देव के ग्रैवेयक विमान प्रस्तरका निरूपण २७५-२७६ आयुके परिणामका निरूपण २७७भिक्षुमतिमाके स्वरूपका निरूपण २७९प्रायश्चित्त के स्वरूपका निरूपण २८१-२८२ दक्षिण भरतमें रहे हुवे सिद्धादिकूटोका निरूपण २८३-२८८ आंतररोगके कारण कर्मविशेषका निरूपण २८९-२९० तीर्थकरादिके नाम गोत्रमाप्त करनेवाले श्रेणिक आदिकोंका निरूपण २९१-२९२ भावी मध्यमतीर्थकर केवलीके स्वरूपका निरूपण २९३-२९९ श्रेणिकके तीर्थकरत्वका निरूपण ३००-३२८ महापद्मजिनके द्वारा प्ररूपित होनेवाले आरम्भ आदि स्थानोंका निरूपण ३२९-३३२ नक्षत्रविशेषका निरूपण ३३३ कल्पविशेष में रहे हुए विमानकी संख्याका निरूपण ३३४ ऋषभ कुलकर विशेष ऋषभ प्रवर्तित प्रवृत्तिका निरूपण ३३५-३३६ ग्रह विशेष वीथि प्रमाणका निरूपण ३३७ नव प्रकारके नो कषायका निरूपण ८२ ८३ ८६ ३३८ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫
SR No.006313
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages737
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size39 MB
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