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________________ ४२२ स्थानाङ्गसूत्रे छाया-चतुर्विधा बुद्धिः प्रज्ञप्ताः, तद्यया-औत्पत्तिकी१, वैनयिकी२, कामिका३, पारिणामिकी ४। चतुर्विधा मतिः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-अवग्रहमतिः १, ईहामतिः २, अवायमतिः ३, धारणामतिः ४। ___ अथवा-चतुर्विधा मतिः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-अरञ्जरोदकसमाना १, विदरोदकसमाना २, सरउदकसमाना ३, सागरोदकसमाना ४। ॥ २८ ॥ टीका-" चउब्धिहा बुद्धी" इत्यादि-बुद्धिश्चतुर्विधा प्रज्ञप्ता, तद्यथाऔत्पतिकी-उत्पत्तिरेव प्रयोजनमस्या इत्यौत्पत्तिकी, ननु क्षयोपशमो बुद्धयुत्पत्ति प्रति कारणं भवतीति स हेतुरस्या इति क्षयोपशमिक्यपि वक्तुमुचिता, कथं न सोक्तेति चेच्छृणु नहि औत्पत्तिकीमेवबुद्धिं प्रति क्षयोपशमो हेतुः, अपि तु सर्वबुद्धिः प्रत्ययं प्रधानो हेतुरिति क्षयोपशमकारणाविवक्षयोत्पत्तिमात्रप्रयोजनं विव कहा गया यह संघ सर्वज्ञके वचन से मजी (स्फीत-निर्मल) हुई बुद्धिवाला होता है। अतः अब सूत्रकार बुद्धिकी विवेचना करते हैं-- 'चउठिवहा बुद्धी पण्णत्ता' इत्यादि सूत्र २८ ॥ टीकार्थ-बुद्धि चार प्रकारकी होतीहै जैसी-औत्पत्तिकी १ वैनयिकीर कामिका ३ और पारिणामिकी ४ इनमें जिस बुद्धिका प्रयोजन उत्पत्तिही होती है, वह औत्पत्ति की बुद्धि है, इस औत्पत्तिकी बुद्धि में ज्ञाना वरणीय कर्मका विशिष्ट क्षयोपशम होता है। शंका-क्षयोपशम बुद्धिकी उत्पत्तिके प्रति कारण होता है, तो फिर यहा क्षयोपशम है हेतु जिसका, ऐसी क्षायोपशमिकी बुद्धि उसे क्यों नहीं कही है? ઉપર્યુક્ત સંધ સર્વજ્ઞના વચનથી વિશુદ્ધ બુદ્ધિવાળો થાય છે. તેથી वे सूत्र४।२ मुद्धिनु नि३५५५ ४२ छ. " चउन्विहा बुद्धी पण्णत्ता' त्या -द्धिन नये प्रमाणे यार ५४२ ४६॥ छ-(१) मीत्पातिकी, (२) वैनायिती, (3) मि, मन (४) पारिवामि. रे भुद्धिन प्रयोग उत्पत्ति હોય છે, તે બુદ્ધિને ઔત્પાતિકી બુદ્ધિ કહે છે. આ ઔત્પાતિકી બુદ્ધિમાં જ્ઞાનાવરણીય કર્મને વિશિષ્ટ ક્ષયોપશમ થતું હોય છે. શંકા–જે ઔત્પત્તિકી બુદ્ધિની ઉત્પત્તિનું કારણ ક્ષયે પશમ હોય, તે તેને ક્ષાપશમિકી બુદ્ધિ કેમ કહી નથી ? જેનું કારણ પશમ હોય એવી બુદ્ધિને ઔત્પત્તિકી શા માટે કહી છે? श्री. स्थानांग सूत्र :03
SR No.006311
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size37 MB
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