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स्थानानसूत्रे
करेमोतेगे पत्तियं करेइ ३, अपत्तियं करेमीतेगे अपत्तियं करेइ ४।२।
चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अप्पणो णाममेगे पत्तियं करेइ णो परस्त १, परस्स णाममेगे पत्तियं करेइ णो अप्पणो० ४, ।।
चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-पत्तियं पवेसामीतेगे पत्तियं पवेसेइ १, पत्तियं पवेसामीतेगे अपत्तियं पवेसेइ० ४,
चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अप्पणो णाममेगे पत्तियं पवेसेइ णो परस्स, १, परस्स णाममेगे पत्तियं पवेसेइ णो अपणो २-४ ॥ सू०२॥
छाया-चत्वारः पक्षिणः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-रुतसम्पन्नो नामैको नो रूपस. म्पन्नः १, रूपसम्पन्नो नामैको नो रुतसम्पन्नः २, एको रूपसम्पन्नोऽपि रुतस
अब सूत्रकार दान्तिक भायसे पुरुषजात का निरूपण करते हैं
चत्तारि पक्खी पण्णत्ता-इत्यादि-२ सूत्रार्थ-पक्षी चार प्रकार के कहे गयेहैं, जैसे-कोई एक पक्षी ऐसा होता है, जिस का शब्द तो आनन्द दायक होता है पर-वह स्वयं सुन्दर आकार वाला नहीं होता है-१ । कोई एक पक्षी ऐसा होता है जो रूप में तो सुन्दर है पर-उसका शब्द आनन्द दायक नहीं होता है-२॥ कोई एक पक्षी ऐसा होता है जो रूप में भी सुन्दर होता है. और
હવે સૂત્રકાર દષ્ટાન્ન અને દાર્જીનિક સૂત્રો દ્વારા પુરુષોના પ્રકારો अट ४२ छ. " चत्तारि पक्खी पण्णत्ता" त्या:
સૂત્રાર્થ–પક્ષીને નીચે પ્રમાણે ચાર પ્રકાર કહ્યા છે-(૧) કોઈ એક પક્ષી એવું હોય છે કે જેને અવાજ આનંદદાયક હોય છે, પણ તે સુંદર હેતું નથી. (થ) કેઈ એક પક્ષી એવું હોય છે કે જે સુંદર હોય છે પણ તેને અવાજ આનંદદાયક હેતું નથી. (૩) કેઈ એક પક્ષી એવું હોય છે કે જે દેખાવમાં
श्री. स्थानांग सूत्र :03