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सुधा टीका स्था० २ उ० १ सू० ४ क्रियादीनां द्वित्वनिरूपणम् २०९ क्रियायां सत्यामेव आत्मानोबन्धादयो भवन्तीति क्रियाया द्विपत्यवतारत्वमाह
मूलम्-दो किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-जीवकिरियाचेव अजीवकिरियाचेव। जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहासम्मत्तकिरिया चेव मिच्छत्तकिरिया चेव । अजीवकिरिया दुयिहा पण्णत्ता, तं जहा-इरियावाहिया चेव संपराइगा चेव । दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-काइया चेव अहिगराणया चेव। काइया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अणुवरयकाय. किरिया चेव दुष्पउत्तकायकिरिया चेव । अहिगरणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं: जहा-संजोयणाहिगरणिया चेय णिव्वत्तणा हि गरणिया।दो किरियाओ पण्णत्ताओ तं जहा-पाउसिया चेय पारियावणिया चेय। पाउसिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाजीवपाउसिया चेव अजीवपाउसिया चेव। पारियावणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सहत्थपारियावणियाचेव परहत्थपारियाय णिया चेव । दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पाणाइवायकिरिया चेव अपच्चक्खाणकिरिया चेय । पाणाइवायकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपाणाइवायकिरिया चेव परहस्थपाणाइवायकिरिया चेव । अपञ्चक्खाणकिरिया दुविहा पण्णता, तं जहा-जीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव अजीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव । दो किरियाओपण्णत्ताओतं जहा-आरंभिया चेव परिग्गहिया चेव । आरंभिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तंजहाजीव आरंभिया चेव अजीव आरंभिया चेव। एवं परिग्गहिया वि।
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શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૧