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________________ १०३ १०४ १०७ १०९ ११० ~ १११ ~ ११२ ~ परिचारणा के स्वरूपका निरूपण ५७०-५७४ योगके स्वरूपका निरूपण ५७५-५८३ आरम्भादि करणका और क्रियान्तके फलके स्वरूपका निरूपण ५८४-५८९ गुप्ति और दण्ड के स्वरूपका निरूपण ५९०-५९३ गर्दा और प्रत्याख्यानके स्वरूपका निरूपण ५९४-५९६ वृक्षके द्रष्टान्त से पुरुषके स्वरूपका निरूपण तिर्यच-जलचर-स्थलचर-खेचरकी विविधताका निरूपण ६०४-६१० नैरयिकादिकों की लेश्याका निरूपण ६११-६१४ ज्योतिष्कों के चलन प्रकारका निरूपण ६१५-६१७ उत्पातरूप लोकान्धकारादिका निरूपण ६१८-६२६ धर्माचार्यादिकों के अशक्य प्रत्युपकारित्वका निरूपण ६२७-६४३ धर्म के भवच्छेद में कारणताका निरूपण ६४४-६४६ कालविशेषका निरूपण ६४७-६४८ पुद्गलके धर्मका निरूपण ६४९-६५३ दण्डक सहित जीवधर्मका निरूपण ६५४-६५५ योनिके स्वरूपका निरूपण ६५६-६६३ तीर्थका निरूपण ६६४-६६६ कालधर्मका निरूपण ६६७-६७२ बादर तेजस्कायादिकोंके स्थितिका निरूपण ६७३-६७७ क्षेत्रविशेषके स्वरूपका निरूपण ६७८-६८१ व्रतरहितोंके और व्रतसहितोंके उत्पत्तिका निरूपण देवके शरीरका मान (नाप ) का निरूपण ६८७ देवके शरीर बद्ध तीन सूत्रका निरूपण ६८८-६८९ ११३ ११४ ~ ११५ ११७ ११८ १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ समाप्त શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૧
SR No.006309
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages710
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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