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________________ ६३ आरम्भ और परिग्रहके अनवबाधसे धर्मादिलाभका निरूपण २६६-२७३ धर्मादि प्राप्तिमें दो कारणोंका निरूपण २७४-२७६ दो समयका और उन्मादके द्वित्वका निरूपण २७७-२८० दो प्रकारके दण्डका निरूपण २८१-२८२ दो प्रकार के दर्शनका निरूपण २८३-२८७ दो प्रकारके ज्ञानका निरूपण २८८-२९३ श्रुत चारित्र्यके द्विविधताका निरूपण २९४-३०८ पृथिव्यादि जीवके द्विविधताका निरूपण ३०९-३१७ नारकादिकोंकी द्विविधताका निरूपण ३१८-३२३ भव्यविशेषों के कर्त्तव्यकी द्विविधताका निरूपण ३२४-३२८ दूसरे स्थानका दूसरा उद्देशक देवनारकादिकोंके कर्मबन्ध और उनके वेदनाका निरूपण ३२९-३३४ नारकादिकों के गति और आगति रूप नारकादि चोवीस दण्डकोंका निरूपण ३३५-३४९ अधोलोक ज्ञानादि विषयक आत्माके द्वैविध्यका नि. ३५०-३६० ___दूसरे स्थानका तीसरा उ शक तीसरे उद्देशककी अवतरणिका ३६१ शब्दके द्वैविध्यका निरूपण ३६२-३६६ पुद्गलों के संघात और भेदके कारणका निरूपण ३६७-३७५ शब्दादिके आत्त-अनात्त आदि भेदोका निरूपण ३७५जीवके धर्मका निरूपण ३७६-३८५ जीवके उत्पात और उद्वर्तनादि धर्म के द्वैविध्यताका निरूपण ३८६-३९७ भरत और पैरवतादि क्षेत्रका निरूपण ३९८-४०१ वर्षधरादि पर्वतोंके द्वैविध्यताका निरूपण ४०२-४१७ षद्महृदादि द्रहके द्वैविधयका निरूपण ४१८-४२५ काललक्षण पर्याय धर्मका निरूपण ४२६-४३२ ६५ ६८ ७० ७३ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૧
SR No.006309
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages710
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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