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________________ % 3D समयार्थबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. १३ याथातथ्यस्वरूपनिरूपणम् ३२७ ज्ञस्याऽयं मार्गः सर्वदोषरहितः, तथापि स्वाग्रहेण यस्तत्र दोष मरूपयति । तथा य: स्वाभिमायेणाऽऽचार्य परम्परां परित्यज्य व्याख्यानं करोति, तथा- सर्वज्ञप्रणीतागमे शङ्कया मृषावादं करोति, स उत्तमगुणाधिकारी न भवतीति भावार्थः ॥३॥ मूलम्-जे यावि पुट्रा पैलिउंचयंति, आयाणमढें खलु वंचयंति।। असाहुणो ते ईह साहुमाणी, मायणि एसंति अणतघायां। छाया-ये चापि पृशः परिकुश्चयन्ति, आदानमर्थ खलु वश्चयन्ति । असाधवस्ते इह साधुमानिनो, मायान्विता एष्यन्त्यनन्तघातम् ।४। भावार्थ यह है कि सर्वज्ञ का यह मार्ग सर्व दोषों से रहित है, तथापि अपने आग्रह से जो उसमें दोष कहता है, जो आचार्य परम्परा त्याग कर अपना मनमाना व्याख्यान करता है तथा जो सर्वज्ञप्रणीत आगम में शंका करके मिथ्या भाषण करता है, वह उत्तम गुणों का अधिकारी नहीं होता ॥३॥ 'जे यावि पुट्ठा पलिउंचयंति' इत्यादि। शब्दार्थ-'जे यावि-ये चापि' जो लोग परमार्थतः शास्त्र के रहस्य को नहीं जानते हैं वे अन्य के द्वारा 'पुट्ठा-पृष्टाः' हे साधो! आपके गुरु का नाम क्या है ? ऐसा पूछने पर पलिउंचयंति-परिकुञ्चयन्ति' अपने गुरुका नाम छिपाकर अधिक ज्ञानवाले कोई अन्यका नाम कहते हैं वे लोग 'आयाणमटुं-आदानमर्थम्' ज्ञानादिसे अथवा मोक्ष रूप કહેવાને ભાવાર્થ એ છે કે--સર્વજ્ઞને આ માર્ગ સર્વ દે વિનાનો છે તે પણ પિતાના આગ્રહથી જેઓ તેમાં દેષ કહે છે. જેઓ આચાર્ય પરંપરાને ત્યાગ કરીને પોતાનું મન માન્યું વ્યાખ્યાન કરે છે, તથા જે સર્વજ્ઞ પ્રત આગમમાં શંકા બતાવીને મિથ્યા ભાષણ કરે છે, તે ઉત્તમ ગુણને અધિકારી થતું નથી. ૩ 'जे यावि पुद्रा पलिउचयति' त्यात शहाथ-'जे यावि-ये चापि'२ री शाखा स्यने तता नथी तमा भी दा. 'पुढा-पृष्टाः' साधु ॥५॥ ४३नु नाम शुछ १ को प्रमाणे पूछाम भाव त्यारे 'पलिउचयति-परिकुश्चयन्ति' પિતાના ગુરૂનું નામ છુપાવીને વધારે જ્ઞાનવાળા બીજા કોઈનું નામ પિતાના ४३ तरी ४ छे. ते वा 'आयाणमट्ठ-आदानमर्थम्' शीनाथ मथ श्री सूत्रकृतांग सूत्र : 3
SR No.006307
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages596
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size33 MB
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