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________________ ४८२ सूत्रकृतानने -छाया येचापि बहुश्रुताः स्यु र्धार्मिकब्राह्मणभिक्षुकाः स्युः। अभिच्छादककृतैमूच्छिता स्तीव्र ते कर्मभिः कृत्यते ॥७॥ -अन्वयार्थ(जे) ये (यावि) चापि (बहुस्सुया) बहुश्रुताः-अनेकशास्त्रार्थपारगताः तथा (धाम्मिणमाहणभिक्खुए) धार्मिक ाह्मणमिक्षुका:-धार्मिका:-धर्माचरणशीलाः ब्राह्मणाः-प्रसिद्धाः, भिक्षुका:-भिक्षाटनशीलाः (सिया) स्युः (अभिणूमकडेहि) अभिच्छादककृतैः मायासंपादितानुष्ठानैः (मुच्छिए) मूर्छिता:-गृद्धाः(ते)ते(तिब्बं) तीव्रमत्यन्तम् (कम्मेहिं) कर्मभिः (किच्चति) कृत्यन्ते--छिद्यन्ते पीडयन्ते इत्यर्थः ॥७॥ और भी कहते हैं 'जे यावि बहुस्सुए' इत्यादि । शब्दार्थ--' जे--ये' जो — यावि-चापि' कोई भी 'बहुस्सुया' -बहुश्रुताः, अनेक शास्त्रों के पारंगत तथा 'धम्मिणमाहण भिक्खुए' धार्मिकब्रह्मणभिक्षुकाः धार्मिकब्राह्मण और भिक्षुक 'सिया--स्युः' हों, .'अभिणूमकडेहिं-अभिच्छादक कृतैः' मायाकृत अनुष्ठानोंमें 'मुच्छिए मूच्छिताः' आसक्त हैं तो तेते' वे 'तिव्वं तिव्रम्' अत्यन्त 'कम्मेहि-कर्मभिः' कर्मले 'किच्चइ-कृत्यन्ते पीडित किये जाते हैं ॥७॥ अन्वयार्थ-- जो भी अनेक शास्त्रों में पारंगत हैं, तथा धर्मका आचरण करनेवाले हैं, ब्राह्मण हैं या जो मायाचारसे किये हुए अनुष्ठानों के द्वारा गृद्ध हैं, वे अपने कर्मोंसे अत्यन्त पीडित होते हैं ॥७॥ qी सूत्रस२ ४ छे 3- “जे यावि बहुस्सुए" त्या शहा- 'जे-ये' 'यावि-चापि 1 ५५ 'बहुस्सुता' मने शास्त्राना पात, तय 'धम्मिणमाहणभिक्खुए-धार्मिकब्राह्मणभिक्षुकाः' धाभि प्राण भने लिमारी 'सिया-स्युः' डाय, 'अभिणूमकडेहि --अभिच्छादक कृतैः' भायात मनुष्ठानोभा 'मुच्छिएमूच्छिता' त डाय तो ते-ते' तेसो 'तिव्य-तीन अत्यन्त 'कम्मेहि-कर्मभिः' अभथी 'किच्चई-कृत्यन्ते' दु: Sqामां आवे छे. ॥७॥ सूत्रार्थ - જેઓ અનેક શાસ્ત્રોમાં પારંગત છે, તથા ધર્માચરણ કરનારા છે, બ્રાહ્મણે છે અથવા ભિક્ષુકે છે, તેઓ જે માયાચારથી કરાતાં અનુષ્ઠામાં (આસકત) હોય છે, તે તેઓ પિતાનાં કર્મો દ્વારા અત્યંત પીડિત થાય છે. તે છે શ્રી સૂત્ર કૃતાંગ સૂત્રઃ ૧
SR No.006305
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages709
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size37 MB
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