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आचारांगसूत्रे वने वा-'पुन्नागवणंसि वा' पुन्नागवने वा-पुन्नागवृक्षविशेषवने वा 'चुल्लगवणंसि वा' चुल्लकरने वा-चुल्लकनामवृक्षविशेषवने वा 'अन्नयरेमुवा तहप्पगारेमु' अन्यतरेषु वा तदन्येषु वा तथाप्रकारेषु-अशनवनादिषु 'पत्तोवेएमु वा' पत्रोपे तेषु वा 'पुप्फोवेएस वा' पुष्पोपेतेषु वा 'फलोवेएसु वा' फलोपेतेषु वा 'बोओवेरसु वा बी नोपेतेषु वा 'हरि भोवेएसु वा हरितोपेतेषु वा 'नो उच्चारपासवणं' नो उच्चारप्रस्रवणम्-मल मूत्रपरित्यागं 'वोसिरिज्जा' व्युत्सृजेत्-कुर्यात् ॥ सू० २ ॥
मूलम्-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सयपाययं वा परपाययं वा गहाय से तमायाए एगंतमवक्कमे अणावायंसि असंलोयंसि अप्पपापंसि जाव मकडा संताणयंसि अहारामंसि वा उस्सयंसि तओ संजवर्णसिवा'-आम्रका वन है या-"नागवणंसि वा पुन्नागवणंसि वा' नागकेसर का वन है, या नागकैशर का बन है या-'चुल्लगवणंसि वा-चुल्लक नामके वृक्ष विशेष का वन है या-'अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु-थंडिलेसु पत्तोवेएसु वा'-अन्य इस प्रकार का भी पत्रों से युक्त बन है ऐसा जानकर या देखकर-'पुस्पोवेएसु वा'पुष्पों से युक्त वन है इस प्रकार के पत्रों से या पुष्पों से या-'फलोवेएसु वा बीओवेएस वा हरिओवेएस वा-फलों से बीजों से हरितों से सम्बद्ध वनों के पास की स्थाण्डिलभूमी में सयमशील साधु साध्वी को-'नो उच्चारपासवणं वोसिरिजा'मलमत्र का त्याग नहीं करना चाहिये क्योंकि इस प्रकार के केतनी वगैरह के पप्पादि से सम्बद्ध स्थण्डिभूमी में मलमूत्र का त्याग करने से संयम की विरा.
ना होगी क्योंकि इस तरह के विशेष फल पुष्पादि से सम्बद्ध स्थण्डिलभूमी में मलमन्त्र का त्याग करना उचित नही है इसलिये इस तरह के आम्रादि वृक्षों से सम्बद्ध स्थण्डिलभूमी में मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिये ॥ सू• २ ॥ अथवा 'नागवणंसिं' वा' नास२नु न छे. मय। 'पुन्नागवणंसि वा' नाम सरनु पन छे. अथवा 'चुल्लगवणंसि वा' यु नामना वृक्ष विशेषनु न छे. 'अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु थंडिले मु' 'पत्तोवेएसु' अथवा अन्य प्रा२ना पत्र पाणु पन छे. तेभ and हे तो 24॥ ४२ना पत्र) : 'पुप्फोवेएसु' ५॥ १५॥ 'फलोवेएसु' ५। 3 'वीओवेए से भी अथवा 'हरिओवेएसु' दीयातरीना समय ॥ वनानी पासेनी स्थसिमुभीमा साधु, सावी मे 'नो उच्चारपासवणं वोसिरिज्जा' भराभूतना त्या ४२ नही भो –આવા પ્રકારના કેતકી વિગેરેના પુષ્પાદિના સંબંધ વાળી થંડિવભૂમીમાં મલમૂત્રને ત્યાગ કરવાથી સંયમની વિરાધના થાય છે કેમકે–આવા પ્રકારના ફલ પુષ્પાદિ વિશેષના સંબંધ વાળા સ્પંડિલમાં મલમૂત્રને ત્યાગ કરે એગ્ય નથી તેથી આ પ્રકારના આંબાના ઝાડોના સંબંધ વાળા સ્થડિલમાં મલમૂત્ર ત્યાગ ન કરે. એ સૂત્ર ૨ |
श्री सागसूत्र :४