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आचारांगसूत्रे वा-तदन्यस्मिन् वा तथाप्रकारे नदीतीर्थस्थानादौ स्थण्डिले 'नो उच्चारपासवणं वोसिरिजा' 'नो उच्चारप्रसत्रणम्-मलमूत्रपरित्यागं व्युन्मृजेत्-कुर्शत् ‘से भिक्खू वा भिव खूणी वा स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा 'से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा' स-संयमवान् साधुः यत् पुनः स्थण्डिलं जानीयात् 'नवियासु वा मट्टियखाणियासु' नवासु वा मृत्तिकाखनिषु -अभिनवासु मृत्तिकाखनिषु-अभिनवासु मृत्खनिषु 'नवियामु गाप्पहेलियापु वा' नवासु गोप्रहेल्यासु वा- नूतनगोचरभूमिषु 'गवाणी वा गवादनीषु वा सामान्यगोचरभूमिषु 'खाणीसु वा' खनीषु वाखनिभूमिषु 'अन्नयरस वा तहष्पगारंसि थंडिलंसि' अन्यतस्मिन् वा-तदन्यस्मिन् वा तथाप्रकारे-नूतनमृत्खनिप्रभृति स्थाने स्थण्डिले 'नो उच्चारपासवणं' नो उच्चारप्रस्रवणम्समीपमें हैं अथवा ओघाययणेसु' नदी प्रवाहरूप तीर्थस्थान के पास अथवा तालाच आदि के जल प्रवेश के मार्ग के पास है अथवा 'सेयणवहंसि वा' पानी सिंचन मार्ग के समीपमें हैं । 'अन्नयरंसि वा तहपगारंसि स्थंडिलंसि' उसी प्रकार के अन्य स्थण्डिलभूमी स्थान में अर्थात् नदी तीर्थ स्थानादि स्थण्डिलभूमी में 'नो उच्चारपासवणं वासिरिज्जा' उच्चार प्रस्रवण मलमूत्र का त्याग नहीं करे 'से भिक्खू वा भिक्खुणी वा' संयमशील साधु एवं साध्वी से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा' यदि इस प्रकार से स्थाण्डलभूमी को जान ले की 'नवियासु महियखाणियासु' नवीन माटी की खाण के समाप की स्थण्डिलभूमी में तथा 'नवियासु गोप्पहेलियासु वा नूनन गोचरभूमीमें गवाणीसु वा' सामान्य गोचरभूमी में 'खाणीसु वा' खाण म एवं 'अन्नयरसि वा तहप्पगारंसि स्डिलंसि' इसी प्रकार की अन्य स्थाण्डलभूमी में 'ना उच्चारपासवां वोसिरिजा' मलमूत्र का परित्याग नहीं करें। स जं पुण थंडिलं जाणिज।' वह संयमशील साधु एवं साध्वी इस प्रकार की स्थंडिलभूमा को जानले कि यह स्थण्डिलभूमी 'डागवच्चंसि वा' छोटी छोटी शाखा प्रधान शाक के स्थान में 'सागवच्चंसि वा' शाकवाले स्थान નદીના પ્રવાહ રૂપ તીર્થસ્થાનના પાસે અથવા તલાવ વિગેરેના જલ પ્રવેશ માળની પાસે અથવા 'सेयणवहसि वा' पाणी छांटे। भागनी सभी५मा डायम24। 'अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि डि. लंसि' तेव। प्रारना मन्य स्थानमा मयात्नही तथस्थाननी नी स्थाभीमानो.
चारपासवणं वासिरिज्जा' प्यार प्रल मत भूलना परित्याग ४२३। नही 'से भिक्ख वा भिक्खणी वा' संयमशीद साधुसने सपा से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा' स्थविभूमीन सेवा तेलगी 'नवियासु मद्वियखाणियासु' भाटीना नवी मानी ग७नी स्थति ममीमा तथा नवियासु गोप्पहेलियासु वा' नी गायभूमीमा 'गवाणीसु वा सामान्य गोयरसुमीमा 'खाणीसु वा' मामा भने 'अन्नयासि वा तहप्पगारंसि थांडलंसि' मा ४ारनी भन्य स्थ विभूमीमा 'नो उच्चारपासवणं वोसिरिज्जा' भावना त्याग ४२ ना. 'से जं पण पंडिलं जाणिज्जा' ने संयमशीस साधु सने साध्वी यमभूमीन मेवी शतनी नये
श्री सागसूत्र :४