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आचारांगसूत्रे वक्तव्याः अवगन्तव्या वा किन्तु आम्रादि विषयापेक्षया विशेषमाह-'नवरं हसणं' नवरम् आम्रफलादि विषयापेक्षया विशेषस्तु अत्र लशुनोऽवगन्तव्यः तत्सदृशः औषधिविशेषो वा 'से भिक्खू वा भिक्खुणी वा' स भावभिक्षुर्वा भिक्षुकी वा 'अभिकंखिज्जा' अभिकाक्षेत्-यदि आमवातादि रोगपीडितत्वात् तद् दूरीकरणार्थम् वाञ्छेत् 'लहसुणं वा लहसुणकंदं वा' लशुनं वा लशुनसदृशम् औषधिविशेषं वा, लशुनकन्दं वा लशुनसदृशौषधिविशेषकन्दम् वा तदौषधिमूलभागमित्यर्थः ल्हसुणचोयगं वा' लशुनत्वचं वा-तत्सदृशौषधि साध्वी यदि यात व्याधि से ग्रस्त दशा में औषधके रूपमें सेवनार्थ 'अभिकंखि जा लसुणवणं उवागच्छित्तए' लशुन के वन में जाने की इच्छा करे और लशुन को या लशुन सदृश प्याज औषधि विशेष को या लशुन कन्द को या लशुन सदश औषधि विशेष के कन्द को या उसके मूल भाग को या लशुन के छिलका को या लशुन सदृश प्याज औषधि विशेष के छिलका को या लशुन के नाल दण्ड को या लशुन सदृश प्याज वगैरह औषधि विशेष के नाल दण्ड को खाने के लिये या उस के रस को पीने के लिये विचार करे और यदि वह साधु जान ले कि यह लशुम कान्दादि अण्डों से सम्बद्ध है या बीजादि से सम्बद्ध है तो उसको सचित्त समझकर नहीं ग्रहण करना चाहिये किन्तु अण्डादि से सम्बद्ध नहीं हो तो ग्रहण कर लेना चाहिये, एवं वह लशुनकन्दादि तिरछा काटा हुआ हो तो अचित होने से ग्रहण कर लेना चाहिये और यदि तिरछा नहीं काटा हुआ हो तो नहीं ग्रहण करना चाहिये इसी तात्पर्य से कहा है कि 'तहेव तिन्नि वि. आलावगा' तथैव-पूर्वोक्त आम्रादि विषयक आलापक समान ही लशुन विषयक भो तीनों आलापकों को समझ लेना चाहिये 'नवरं ल्हसुगं' किन्तु आप्रादि विषयक आलापकों को अपेक्षा लशुन विषयक आलापकों की विशेषता यही है लसुणवणं उवागच्छित्तए' साना वनमा पानी ४२छ। ४२ 'तहेव तिन्नि वि आलावगा' અને લસણને અગર લસણ સરખા ડુંગળી વિગેરે ઔષધ વિશેષને કે લસણના કંદને અથવા લસણના સરખા ઔષધિ વિશેષના કંદને અથવા તેના મૂળ ભાગને અથવા લસ
ના છેડાને અથવા લસણ સરખા ડુંગળી વિગેરેના છેડાને અથવા લસણના નાળ દંડને ખાવા માટે અથવા તેને રસ પીવાનો વિચાર કરે અને એ સાધુના જાણવામાં આવે કે આ લસણના કંદાદિ ઇંડાઓના સંબંધવાળા છે. અથવા અંકુત્પાદક બી વિગેરેના સંબંધવાળા છે. તે તેને સચિત્ત સમજીને ગ્રહણ કરવા નહીં પરંતુ ઇંડાં–બી વિગેરેના સંબંધવાળા ન હોય અર્થાત્ અચિત્ત હોય તે ગ્રહણ કરી લેવું. અને જે તિરછું કાપેલ नाय तो ४५ ४२५८ नही ये तुथी यु छ , 'तहेव पूरित सामाहिना આલાપકની સરખા જ લસણ સંબંધી પણ ત્રણે આલાપ સમજવા. પરંતુ આમ્રાદિ આલાપકો ३२di ससना आसा५ोमा 'नवर लसुण' विशेषता सग छ -स हने पान
श्री सागसूत्र :४