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मर्मप्रकाशिका टीका श्रुतस्कंध २ उ. २ सू० ६ सप्तम अवग्रहप्रतिमाध्ययननिरूपणम् ८२९ विशेषत्वचं वा 'लहसुणनालगं वा' लशुननालकं वा तत्सदृशौषधिविशेषनालं वा 'भुत्तए वा पायए वा' भोक्तुं वा पातुं वा यदि अभिकाङ्क्षदिति पूर्वेणान्वयः ‘से जं पुण जाणिज्जा' स भावसाधुः यदि पुन: जानीयात् 'लसुणं वा जाव लसुणबीयं वा' लशुनं वा-लशुनसदृशम् औषधिविशेष वा यावत्-लशुनवीजं वा-लशुनबीजसदृशमौषधिविशेषवीजं वा 'सअंडं जाव' साण्डम् अण्डसहितम् यावत् सप्राणम् सबीजम् सहरितम् सोदकं सोतिङ्गपनकदगमृत्तिका लूतातन्तुजालसहितं ज्ञात्वा तथाप्रकारम् अण्डादिलतातन्तुजालसहितम् लशुनं लशुनसहशौषधिविशेष सचित्तत्वाद् अप्रासुकं मन्यमानो नो प्रतिगृह्णीयात् 'एवं अतिरिच्छच्छिन्नेऽवि' एवम्-उपर्युकसाण्डादिलशुन तत्सदृशौषधिविशेषालापरीत्या अतिरश्चीन च्छिन्नलशुनतत्सदृशौषधिविशेषविषयकोऽपि आलापको वक्तव्यः तथा च अतिर्यकछिन्न लशुन तत्सदृशौषधि विशेषस्यापि सचित्तत्वेन प्रासुकं मन्यमानो नो प्रतिगृह्णीयात् इत्यर्थः, कि-लशुन को जोड कर आलापक बोलना चाहिये, इन पूर्वोक्त विषयों को ही खुलाशा करके बतलाते हैं-'से जं पुण जाणिज्जा' वह पूर्वोक्त साधु और साध्वी यदि ऐसा वक्ष्यमाणरूप से जान ले कि 'लसुणं जाव' यह लशुन या यावत्-लशुन सहश प्याज वगैरह औषधि विशेष या 'लप्सुणबीयं वा' लशुन बीज या लशुन सदृश प्याज वगैरह का बीज या लशुन कन्द या लशुन सदृश प्याज वगैरह का कन्द या लशुन का नालदण्ड या लशुन सदृश प्याज वगैरह औषधि का नालदण्ड यदि 'सभंडं जाव' अण्डे से सम्बद्ध है या यावतू-बीजों से युक्त है या हरितों से सम्बद्ध है या शीतोदक उत्ति पनक शीत जल मिश्रित मिट्टी से सम्बद्ध है लूतातन्तु जाल से सम्बद्ध है ऐसा जान ले तो उस को सचित्त होने से अप्रासुक सचित्त समझ कर नहीं ग्रहण करना चाहिये एवं यदि एवं अतिरिच्छच्छिन्ने' वह लशुन कन्दादि तिरछा नहीं काटा हुआ है ऐसा जान ले या देखले तो भी उसे सचित्त होने से प्रासुक नहीं समझते हुए ग्रहण भा५। डा ! पूरित विषयाने ४ मुशासापा२ सूत्र४२ मताव छ. से पण जाणिज्जा' ते पूर्णत साधु, सवीन नामों से ये भाव -'लसुणं वा जावर सास यावत् स स२॥ गणी विगेरे औषध विशेष अथवा 'लसुणबीय वा। લસણના બી અગર લસણ સરખા ડુંગળી વિગેરેના બી કે લસણ કંદ અગર લસણ સરખા ડુંગળી વિગેરેના કંદ અથવા લસણના નાળ દંડ અથવા લસણ સરખા ડુંગળી विगैरे गोषधीन नाण 'सअंडं जाव' डान सवा छे अथवा यावत બીયાઓથી યુક્ત છે. અગર લીલેરીથી યુક્ત છે. અથવા ઠંડા પાણી ઉનિંગ પનક ઠંડા પાણિથી મળેલ લીલી માટીના સંબંધવાળું છે. અથવા સૂતા તંતુકાળથી સંબંધિત છે. તેમ ना तो तर सयित्त पाथी सासु-सयित्त समझने ग्रहय ४२ नही. 'एवं अति. रिच्छछिन्नेवि स हि तिरछु पेल नडाय तेम and हेमे तो पर ते सथित्त पाथी प्रासुर नपाथी ७५ ४२ नही. परंतु 'तिरिच्छछिन्ने जाव
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श्री सागसूत्र :४