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आचारांगसूत्रे हमाणे पुत्वामेव सतीसोयरियं कायं पाए य पमज्जिय पमज्जिय तओ संजयामेव बहुफासुए सेज्जासंथारगे सइज्जा ।।सु० ६३॥
छाया-स भिक्षु वा भिक्षुकी वा बहुप्रासुके शय्यासंस्तारके आरोहणपूर्वमेव सशीर्षोंपरिकं कायं पादं च प्रमृज्य प्रमृज्य ततः संयत एव बहुप्रासुके शय्यासंस्तारके आरा नतः संयतएव बहुप्रासुके शय्यासंस्तारके शयीत ।। ६३॥
टीका-अथ शरपासंस्तारके शयनप्रकारमाह-'से भिक्खू वा भिक्खुणी वा' सभिक्षु वा भिक्षुकी वा 'बहुफामुए' बहुप्रामुके सर्वथा अचित्ते 'सेज्जासंथारगे' शय्यासंस्तारके फलकादि शयनीये 'दुरूहमाणे' आरोहन्-उपविशन् 'षुब्बामेव' पूर्वमेव-उपवेशनात् प्रागेव 'ससीसोबरियं' सशीर्षोंपरिकं शीर्षसहितोपरितनभागम् 'कायं पाए य' कायं पादं च 'पमज्जिय पत्रज्जिय' प्रमृज्य प्रमृज्य पुनः पुनः प्रमार्जनं कृत्वा 'तो संजयामेव' ततःतदनन्तरम् सशीर्षकायपादप्रमाजनानन्तरमित्यर्थ, संयतएव-संयमपालनपूर्वकमेव 'बहुफामुए' बहुप्रासुके सर्वथा अचित्ते 'सेज्जासंथारगे' शय्या प्रस्तारके फलकादि शयनीये 'दुरुहिता'
अब फलकादि शरमा संस्तारक पर शयन करने का प्रकार पतलाते हैंटीकार्थ-'से भिक्खू या, भिक्खुणी वा' वह पूर्वोक भिक्षुक संयमवान् साधु और भिक्षुकी साध्वी 'बहफास्तुए सेज्जासंथारगे' बहुप्रासुक सर्वथा अचित्त शय्या संस्तारक फलक पाट वगैरह पर 'दुरूहमाणे पुवामेव' शयन करने के लिये चढते हुए उसपर बैठने से पहले ही 'ससीमोचरियं कायं' शीर्ष-मस्तक सहित ऊपर के काय भाग को और 'पाए य पमज्जिय पमज्जिय' पादको बारबार प्रमाजन करके 'तओ संजयामेव' करने के बाद संयत एव अर्थात् संयम पालन पूर्वक ही 'बहुफासुए सेजा संथारए दुरूहित्ता' बहुप्रास्तुक-सर्वथा अचित्त शय्या संस्ता. रक फलक पाट वगैरह संथार पर चढ कर 'तओ संजयामेव' उस पर चढने के बाद संपमशील होकर ही 'बहफासुए सेज्जा संथारए सइज्जा' बहु प्रासुक अत्यंत अचित्त फलक पाट वगैरह शय्या संस्तारक पर शयन करे अर्थात् संयम पालन पूर्वक ही शयन करना चाहिये एतावता फलकादि शय्या संस्तारक को
હવે ફલકદિ શયા સંસ્મારક પર શયન કરવાને પ્રકાર બતાવે છે –
टी10-से भिक्ख यो भिक्खुणी वा' ते पूर्वात साधु म. सायी 'बहु फासुए सेज्जा संथारगे' सय मयित्त शय्या सतार ४ ५८ पाट विगैरेनी ५२ 'दुरूहमाणे' शयन ४२५॥ भाटे यता 'पुब्बामेव' तेना ५२ मेसता पडसi or 'ससीसोवरियं काय" भस्त४ सहित ९५२न। य लागने भने पाउय पमज्जिय पमज्जिय' ५गने पार पा२ प्रमाना परीने 'तओ संजयामेव' ते पछी अर्थात् प्रभा ना पछी सयम पालन ५४ ४ 'बहुफासुए सेज्जा संथोरए' सथा अयित 24 सस्ता२४ ३४ पाट विगैरेनी 3५२ 'दुरुहित्ता' यढी तना ५२ 28! पछी 'तओ संजयामेव' सयमशील २४
श्री सागसूत्र :४