SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११०२ आचारांगसूत्रे यासमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाइं जीवाइं सत्ताई अभिहणिज्ज वा वत्तिज वा परियाविज्ज वा लेसिज्ज वा उद्दविज वा, इरियासमिर से निग्गंथे नो इरिया असमि इत्ति, पढमा भावणा१, अहावरा दुच्चा भावणामणं परियाणइ से निग्गंथे जे य मणे पावए सावज्जे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अहिगरणिए पाउसिए पारियाविए पाणाइवाइए भूओवघाइए, तहप्पगारं मणं नो पधारिजा गमणाए, मणं परिजाणइ से निग्गंथे, जे य मणे अपावएत्ति दुचवा भावणारे, अहावरा तच्चा भावणा-वई परिजागइ से निग्गंथे, जा य वई पाविया सावजा सकिरिया जाव भृओवघाइया तहप्पगारं वइं नो उच्चारिजा, जे वइं परिजाणइ से निग्गंथे जाव वइ अपावियत्ति तच्चा भावणा३, अहावरा चउत्था भावणा-आयाणभंडमत्तनिक्खेवणा समिए से निग्गथे, नो अणायाण. भंडमत्तनिक्खेवणाप्तमिए, केवली बूया आयाणमेयं, आयाणभंडमत्तनिक्खेवणाऽसमिए से निग्गंथे पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताई अभिहणिज्ज वा जाव उदविज वा, तम्हा आयागभंडमत्तनिक्खेवणा समिए से निग्गंथे, नो आयाणभंडनिक्खेवणा असमिएत्ति चउत्था भावणा ४, अहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयगभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवलीबूया आयाणमेयं, अणालोईयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा भूयाई वा जीवाई वा सत्ताई वा अभिहणिज वा जाव उदविज वा तम्हा आलोईयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोईयपाणभोयणभोईत्ति पंचमा भावणा ५, एयावया महत्वए सम्मं कारण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महपए पाणइवायाओ वेरमणं ॥सू० १०॥ ___ छाया-प्रथमं भदन्त ! महावतं प्रत्याख्यामि सर्व प्राणातिशतं तत् सक्ष्म वा बादरं वा त्रसंवा स्थावरं वा नै। स्वयं प्राणातिपातं कुर्यात् (करोमि) वा कारयेद् वा, (कारयामि) अनु. मोद येद वा (अनुमोदयामि) यावज्जीवं त्रिविधं त्रिविधेन मनसा वचसा कायेन तस्य भदन्त ! प्रतिक्रमामि निन्दामि गहें आत्मानं व्युस्सृजामि, तस्य इमाः पश्च भावनाः भवन्ति, श्री.माया सूत्र:४
SR No.006304
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1979
Total Pages1199
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size83 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy