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________________ आचारचिन्तामणि -टीका अध्य. १ उ. १ सू. ५. कर्मवादिप्र० ३६५ नाम, (१४) आनुपूर्वीनाम, (१५) अगुरुलघुनाम, (१६) उपघातनाम, (१७) पराघातनाम, (१८) आतपनाम, (१९) उद्योतनाम, (२०) उच्छासनाम, (२१) विहायोगविनाम, (२२) प्रत्येकशरीरनाम, (२३) साधारणशरीरनाम, (२४) त्रसनाम, (२५) स्थावरनाम, (२६) सुभगनाभ, (२७) दुर्भगनाम, (२८) मुस्वरनाम, (२९) दुस्स्वरनाम, (३०) शुभनाम, (३१) अशुभनाम, (३२) सूक्ष्मनाम, (३३) बादरनाम, (३४) पर्याप्तनाम. (३५) अपर्याप्तनाम, (३६) स्थिरनाम, (३७) अस्थिरनाम, (३८) आदेयनाम, ( ३९ ) अनादेयनाम, (४०) यशोनाम, (४१) अशांनाम, (४२) तीर्थङ्करनाम । एते मूलभेदाः पिण्डप्रकृतिनाम्नापि कथ्यन्ते । अत्र गत्यादिचतुर्दशपिण्डप्रकृतीनामुत्तरप्रकृतयः - पञ्चषष्टिः (६५) । (१५) अगुरुलघुनाम, (१६) उपघातनाम, (१७) पराघातनाम, (१८) आतपनाम, (१९) उद्योतनाम, (२०) उच्छ्वासनाम, (२१) विहायोगतिनाम, (२२) प्रत्येकशरीरनाम, (२३) साधारणशरीरनाम, (२४) त्रसनाम, (२५) स्थावरनाम, (२६) सुभगनाम, (२७) दुर्भगनाम, (२८) सुस्वरनाम, (२९) दुस्वरनाम, (३०) शुभनाम, (३१) अशुभनाम, (३२) सूक्ष्मनाम, (३३) बादरनाम, (३४) पर्याप्तनाम, (३५) अपर्याप्तनाम, (३६) स्थिरनाम, (३७) अस्थिरनाम, (३८) आदेयनाम, (३९) अनादेयनाम, (४०) यश: कीर्तिनाम, (४१) अयश: कीर्तिनाम, और (४२) तीर्थंकर नाम - कर्म इन बयालीस प्रकृतियों में जिन प्रकृतियों के अवान्तर भेद हैं, उन्हें पिण्डप्रकृति कहते हैं । गति आदि चौदह पिण्डप्रकृतियाँ हैं और उनके पैंसठ (६५) भेद होते हैं । अगु३लघुनाभ, (१६) उपधातनाभ, (१७) पराधातनाभ, (१८) मातयनाभ, (१८) उद्योतनाम, (२०) (२वासनाभ, (२१) विडायोगतिनाभ, (२२) प्रत्येऽशरीरनाभ, (२३) साधारणुशरीरनाभ, (२४) त्रसनाभ, (२५) स्थावरनाभ, (२१) सुलगनाभ, (२७) दुर्लंगनाम, (२८) सुस्वरनाभ, (२८) दुःस्वरनाम, (30) शुभनाम, (३१) अशुलनाम, (३२) सूक्ष्मनाभ, (33) माहरनाभ, (३४) पर्याप्तनाम, (34) अपर्याप्तनाम, (३१) स्थिरनाम, (३७) अस्थिरनाभ, (उ८) आहेयनाम, ( 32 ) अनाद्वेयनाम, (४०) यश: डीर्तिनाभ, (४१) मयशःडीर्तिनाम, (४२) तीर्थं४२नाम-कुर्भ. આ બેંતાલીસ પ્રકૃતિમાં જે પ્રકૃતિઓના અવાન્તર ભેદ છે, તેને પિંડપ્રકૃતિ हे छे. गति माह यह पिंडठ्ठति। छे अने यांसह (१५) तेना लेह छे. શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ઃ ૧
SR No.006301
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages781
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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