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उपशाखा - शुभध्यान
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ठसानें वाले, सिधान्तकी सन्धी मिलाने वाले, तर्क वितर्क कर गहन विषयको सरल कर, बताने वा ले, नय निक्षेपे प्रमाणादी न्यायके पारगामी, कुतaria शांतपणे समाधान करने वाले. असर कारक सौधसे, धर्मकी उन्नतीके कर्ता, चमत्कारिक कवीत्व शक्ती, व वकृत्व शक्तीके धारक, ऐसे २ अनेक ज्ञान गुणके धारक हैं. कित्नेक, शांत, दांत, स्वभावी; आत्मध्यानी, गुणग्राही, अल्पभाषी, स्थिरासनी, गुणानुरागी, सदा धर्म रूप आराम (बाग) में, अपणी आत्माके रमाने वाले हैं; किनेक महान तपस्वी, मासक्ष मनादी जब्बर २ तपके करनेवाले, उपवास आयंविलादी करनेवाले, षडुरसके, विगयके, त्यागी, एक दो द्रव्यपेही निर्वाह करनेवाले. शीत, ताप, लोच, आदीकाया क्लेस तप करनेवाले हैं. कित्नेककी ज्ञानाभ्यास की और तचर्या करनेकी शक्ती नहीं हैं तो, स्वधर्मीयोंकी भक्ती करते हैं. अहार, वस्त्र, शैयासन, आदी प्रतीलाभ साता उपजाते हैं, कित्नेक ग्रस्थ तन मन धनसे चारही तीर्थकी भक्ती करनेवाले, धर्मकी उन्नतीके करने वाले, प्राप्त हुये पदार्थ को लेखे लगानेवाले है. ऐसे उतमोत्तम अनेक गुणज्ञोके दर्शन कर, परसंस्था श्रवण