________________
उपशाखा-शुभध्यान तीन अंगलीयों [तर्जनी, मध्यमा, अनामिक ] के नबू बेड़े (सन्धीरेखा) को बारे क्क गिणनेले. १२.९१०६ एकसो आठ होते हैं. सोही उत्तम है. और माला तो मध्यम तथा कनिष्ट गिनते हैं. ध्यानीको ध्यान में स्थिर होते, नशाग्रद्रष्टी खान मेख स्थिर कर. चित्रकी मू
के जैसा स्थिर हों, निश्चल हो. मुख फाडको ढीली छोड, चितको सर्व व्याधी सर्व विकल्पसे मुक्त कर बेठनसे, ध्यानकी सिद्धी शुल्लभतासे होनेका संभव हैं.
तृतिय पत्र-“काल.” __ ५ 'अशुभ काल'- पहला, दूसरा, और तीसरा आरा, माठेरा, (कुछकमी) तथा छट्टा आरा, इन में धर्मीजनोंके अभावसे ध्यान होनेका कम संभव हैं. और भी अती उष्ण काल, अती शीत काल. अती जीवोत्पतीका काल. दुकाल. विमह काल. रोगग्रस्त काल, इत्यादी काल ध्यानमें विग्रह करनेवाले गिणे जाते हैं. .. ६ 'शुभ काल’--ध्यानके लिये सर्वोत्तम काल * कनिष्टा ( छोठी अंगुली ) और अंगुष्ट छोडके.
* इसेही नोकरवाली कहते हैं. नकी सूतादीको. .... + ये तीन आरा ध्यान साधनेके लिये ही अशुद्ध है, और