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उपशाखा-शुभध्यान
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उपशाखा-शुभध्यान.
-- --- मोक्ष कर्म क्षया देव, ससम्यग्ज्ञानतः स्मृतः ध्यान साध्यं मतं तद्धि, तस्मात द्वितमात्मनः
अस्यर्थम्-मोक्ष कर्भके क्षय होनेसे होता
है. कर्मक्षय सम्यक ज्ञानसे होते हैं, और सम्यक ज्ञान शुभ ध्यानसे होता है; सइ लिये मुमक्षुओंको ध्यानही आत्म कल्याणका हेतू हैं. . प्रथम शाखा-"ध्यानमूल.” .. .. इस जगत्में दो बातों अनादीसें चली आती है; १अच्छी, और दूसरी उसके प्रतिपक्षकी बुरी (खराब) एकेकसे एकेककी पहचान होती है. जैसे रात्रीसे दिनकी, और दिनसे रात्रीकी; शीतसे उष्णकी और उष्णसे शीतकी; आचारीसे बिभचारीकी, और बिभ. चारीसे आचारीकी इत्यादी. सर्व पदार्थों के गुणकी परिक्षा कर, दशवैकालिकजी सूत्रके फरमाणे मुजब