________________
द्वितीयशाखा-रौद्रध्यान.
२५
बहुतही अच्छे सुशोभित हैं, क्या उमदा झगमग रोशनी होरही हैं, क्या रंगी बेरंगी आतशवाजी (दारुके ख्याल) छूट रहे हैं, क्या धूपकी सुगंधी मघमघा रही हैं. क्या शीतल सुगंधी हवा आती है. क्या उमदा पंखा पंखी चल रहे हैं. कैसा झूला घूमता है, क्या मज्जुल बाजित्रोंका नाद है. क्या उंचे२ विचित्राकार वृक्षोंका समाह सोभ रहा है. यह झाडों काटके प्रशाद, स्थंभ, पाट, वगैरे बनाने योग्य है, यह फल बड़े मिष्ट है, भक्षण करने योग्य हैं गुण करता हैं; शाख बडा स्वादिष्ट बना. क्या लीली २ हरीयाली छा रही हैं, इसे देखनेंसें बड़ा आनंद होता है. क्या मनहर हार तुर्रे बनाये, औषधियां कंद मुलादिक पोष्टिक स्वादिक कैसे अच्छे हैं. यह कीडे, खटमल, डंस, मच्छर, परले के जीव हैं, इनकों जरूरही मारना. जलचर मच्छादि भूचर गवादि, वनचर शुकरादी, खेचर, पक्षी आदी, पचनादी कर भक्षणे योग्य हैं. यह अश्व गजादी की कैली सजाइ सजी हैं. शैन्य श त्रका कट्टा करने जैसी हैं, बहुत अच्छे चित्र विचित्र पक्षीयोंको पीजरमें रखे हैं. अजायब घरकी,